एक्सक्लूसिव। पहाड़ के पानी को सूखाकर जल शक्ति महकमे ने रचा किन्नौर में इतिहास।बीते 3 सालों से भूस्खलन की जद से परेशानी झेल रहे सापनी गाँव में हाइटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर कई बीघा जमीन ,सेब के बगीचों और अनेकों घरों को बचाया।कैसे? पढ़ें ख़बर विस्तार से …

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नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए यहाँ जिओमेम्ब्रेन इमिजिएटली 500माइक्रॉन टैक्सटाइल शीट्स और स्टोन पिचिंग की।

IBEX NEWS,शिमला।

हम और आपने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि भूस्खलन की जद में आ रहे पहाड़ और उस पर बसे बेहद ख़ूबसूरत गाँव के अनेकों घर और कई बीघा ज़मीन ,सेब बगीचों को बचाने के लिए पहाड़ से पानी को निचोड़ कर बचाया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश के कबाइली ज़िला किन्नौर में जल शक्ति विभाग ने ऐसा सपना साकार कर सैंकड़ों लोगों को राहत देकर इतिहास रचा हैं।

यहाँ सापनी गाँव में बीते तीन सालों से भूस्खलन का दौर जारी था।खेत खलिहान से लेकर गाँव् के घरों की मीयादें भी हिलने लगी थी और चट्टानों और रास्तों में दरारें उभर आई थी लोग परेशान थे और आए दिन विभागों को शिकायतें की जा रही थी की हमारी ज़मीनों और गाँव को भूस्खलन से बचाने के उपाय खोजें जाएँ।

मौके पर जल शक्ति विभाग के डाल ने मुआयना किया तो पता चला की भूस्खलन हो रहा है और बरसात में और अधिक तबाही मच रही है और साल दर साल भूस्खलन का एरिया बढ़ता ही जा रहा हैं। 6हेक्टेयर ज़मीन में ज़्यादा समस्या हैं। पता चला कि भूस्खलन के नीचे अनेकों प्राकृतिक स्प्रिंग यानी चश्में है जो भूस्खलन की मिट्टी में दबे हैं। जिससे गाँव का एरिया और खेत हमेशा कीचड़ से सने रहते हैं।

नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए यहाँ जिओमेम्ब्रेन इमिजिएटली 500माइक्रॉन टैक्सटाइल शीट्स और स्टोन पिचिंग का इस्तेमाल करते हुए पानी को तालाब में इकट्ठा किया और सतलुज नदी से मिलने वाली बासपा नदी में पानी को ड्रेन किया गया।इससे भूस्खलन रूका और एरिया ड्राई हो हुआ। लोगों को जलाशय मिला । पानी की कमी पूरी हुईं नई बात ये तो हुई और जो मुख्य समस्या थी वो छूमंतर हुईं। लोगों के घर बच गये । ज़मीने सुरक्षित हो गजल शक्ति विभाग के एक्सिन रिकाँगपिओ अभिषेक शर्मा बताते हैं कि ये कामयाबी पहली बार नई तकनीक से हासिल हुई। अब आगे यहाँ क्रैटवर्क किया जाना हैं ।

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किन्नौर जिले के सापनी पंचायत में भू-धंसाव को रोकने के लिए क्षेत्र के लोगों ने प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन से मांग की थी कि जल्द इसका समाधान निकाला जाए। इसके बाद फिर भू-वैज्ञानिकों की टीम जिला परिषद सदस्य और पंचायत जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में सापनी में धंसाव वाले क्षेत्र का जायजा लिया था।

इस महिला के क़रीब 500 सेब के पेड़ भूस्खलन की जद में आये।