हिमाचल प्रदेश में दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित छह कांग्रेस विधायकों हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती देंगे। कोर्ट से स्टे लेने का प्रयास करेंगे। अगर हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली तो हैं सुप्रीम कोर्ट जा सकते।

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IBEX NEWS,शिमला।

हिमाचल प्रदेश में दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित छह कांग्रेस विधायकों हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती देंगे। कोर्ट से स्टे लेने का प्रयास करेंगे। अगर हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली तो हैं सुप्रीम कोर्ट जा सकते। सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिलने की स्थिति में सदस्यता नहीं रही तो छह महीने में इनकी सीटों पर दोबारा चुनाव करवाने होंगे।

अभी इसमें कई कानूनी पड़ाव है। सुधीर शर्मा ने कहा है कि सदस्यता रद्द करने के फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे।

बुधवार 28 फरवरी को हम विधानसभा सदन में आए थे और रजिस्टर पर साइन भी किए हैं। उन्होंने कहा कि स्पीकर खुद सदन में डेढ़ घंटे तक नहीं आए। हमें कोई नोटिस नहीं मिला केवल एक सदस्य को मिला है। हम डर कर राजनीति नहीं करते। प्रदेश हित में सरकार का जाना तय है। सरकार अल्पमत में है।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि रजिस्टर में हस्ताक्षर किया। इसका प्रतिदिन 5000 रुपए दैनिक भत्ता मिलता है। लेकिन सदन में वित्त विधेयक पेश करते हुए व्हिप जारी करने के बावजूद छह कांग्रेस विधायक नहीं पहुंचे। इसलिए कार्रवाई की गई । 

कितने विधायक किस दल के पास
वर्तमान में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 68 में से 62 सदस्य रह गए हैं। इनमें से कांग्रेस के पास 34, भाजपा 25 और तीन निर्दलीय विधायक हैं। निर्दलीय विधायकों ने राज्यसभा सदस्य के चुनाव में भाजपा का साथ दिया है। यदि वे भाजपा के साथ बने रहते हैं तो भी भाजपा के पास 28 सदस्य होंगे।  यानी कांग्रेस सरकार के पास वर्तमान में बहुमत है। राज्य सरकार में बने रहने के लिए 32 विधायक चाहिए।

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