हिमाचल प्रदेश चिकित्सा अधिकारीयों के आज के सामूहिक अवकाश के बाद पेन डाउन हड़ताल अभी जारी रहेगी।

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HMOA ने चेताया, सरकार ने संज्ञान नहीं लिया तो उग्र होगा विरोध, सीएम के साथ लंबित माँगो पर अब तक की बैठकों के नतीजे शून्य रहे, न गठित कमेटियों की एक भी बैठक हुई और न ही मिनटस ऑफ़ मीटिंग बाहर आए।

दो घंटों के विरोध प्रदर्शन में राज्यभर में इमरजेंसी मेडिकल सेवाएँ बहाल है हम मरीज़ों की सेहत को लेकर संवेदनशील, सरकार नहीं झुकी तो कड़े तेवर अपनाएँगे:अध्यक्ष डॉक्टर राजेश राणा HMOA

मनजीत नेगी/IBEX NEWS,शिमला।

हिमाचल प्रदेश चिकित्सा अधिकारीयों के आज के सामूहिक अवकाश के बाद पेन डाउन हड़ताल डॉक्टर जारी रखेंगे। डॉक्टरों का NPA जारी न किए जाने और अन्य मांगे भी पूरी न होने के विरोध में चिकित्सक हिमाचल प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ के आह्वान पर अवकाश पर हैं।

सामूहिक अवकाश पर डॉक्टरों के छुट्टी पर जाने से प्रदेश के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं गुरुवार को प्रदेशभर के अस्पतालों में इसका ट्रेलर दिखा।

सभी ज़िल अस्पतालों में ओपीडी बंद रही। मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर ज़िला स्तरीय अस्पतालों से लेकर एक छोटे सबसेंट्र तक डॉक्टर नहीं पहुंचने से सुबह से मरीज इंतजार करते रहे। हालाँकि आज के सामूहिक अवकाश की घोषणा पाँच मार्च के लिए हुई थी राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान को लेकर इसे आज के लिए रखा गया।हिमाचल प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ का कहना है कि हड़ताल सफल रही।

अब डॉक्टर हर दिन ढाई घंटे की हड़ताल पर रहेंगे। मेडिकल अधिकारी एसोसिएशन ने यह भी चेतावनी दी है कि मांगें पूरी न होने पर आंदोलन तेज होगा। 15 दिनों से डॉक्टर हड़ताल पर हैं। 12 बजे के बाद ही यह डॉक्टर ओपीडी में बैठकर मरीजों का उपचार करेंगे।

मुख्यमंत्री सुक्खू की ओर से आश्वासन मिलने के बाद भी मांगें पूरी नहीं हुई हैं। इसके चलते रोष है।सीएम के साथ लंबित माँगो पर अब तक की बैठकों के नतीजे शून्य रहे हैं।न गठित कमेटियों की एक भी बैठक हो पाई हैं और न ही सीएम के साथ हुई बैठकों के मिनटस ऑफ़ मीटिंग तक बाहर आए।

उधर, हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ के अध्यक्ष राजेश राणा ने कहा कि सरकार ने आपदा के दौरान एनपीए बंद किया है। डॉक्टरों की पदोन्नति रुकी पड़ी है। सीएम के साथ भी बैठक हो चुकी है। लेकिन अभी तक मांगों पर गौर नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि गुरुवार को डॉक्टर एसोसिएशन ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला लिया है।

ये हैं चिकित्सकों की माँगे।

नान प्रेक्ट्सि अलाउंस (एनपीए) समेत खाली पदों को भरने, चिकित्सकों की पदोन्नति का रास्ता साफ करने, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों की जरूरत के हिसाब से तैनाती करने, दंत चिकित्सकों को एमओएच का पद न देने, सभी चिकित्सकों को ग्रेड पे का 150 प्रतिशत मानदेय देने का आह्वान किया है। 

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विशेष सचिव (स्वास्थ्य) की अध्यक्षता में चिकित्सा अधिकारियों की शिकायतों और मांगों पर विचार करने के लिए एक समिति गठित करने के निर्देश दिए थे।इस समिति में निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, निदेशक चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा अधिकारी संघ के प्रतिनिधि शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि यह समिति चिकित्सकों की पदोन्नति से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करेगी और चिकित्सा अधिकारियों के कल्याण के लिए दिशा-निर्देशों की सिफारिश करेगी।




ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग को चिकित्सकों की कार्यप्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए अधिकारियों के डाटा को डिजिटल बनाने के निर्देश दिए थे।

वेतन घटाकर किया 33660 रुपए

चिकित्सकों की सबसे बड़ी मांग एनपवीए की बहाली है। चिकित्सकों की अग्रिम भर्ती के समय एनपीए को बहाल करने का आश्वासन दिया था और कहा था कि एनपीए को भविष्य में चिकित्सकों की नियुक्ति के समय पुनः लागू कर दिया जाएगा। हाल ही में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति में उनके वेतन से इसे हटा दिया गया है। 3 अगस्त 2023 को जारी की गई अधिसूचना के तहत विशेषज्ञों का वेतन घटाकर 33660 कर दिया है। जबकि 27 जुलाई 2022 की अधिसूचना के तहत न्यूनतम देय 40392 तय हुआ है।

ये हैं प्रमुख मांगें

1. चिकित्सकों के पास पदोन्नति के बहुत ही कम पद स्वीकृत है, इस संदर्भ में उन्हें 4-9-14 एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम दी जाती थी, इसे पुनः बहाल किया जाए।

2. डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम को केंद्र सरकार के तुल्य लागू किया जाए। केंद्र सरकार ने 2008 के गजट में और 2014 के एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी गजट में चिकित्सकों को डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत वित्तीय लाभ प्रदान किए हैं। बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में केंद्र सरकार की तरह प्रदान की गई है।


3. मेडिकल कालेजों में भी डायनेमिक कैरियर प्रोग्रेशन स्कीम को धरातल पर नहीं लाया जा रहा है। 

4.रेगुलर डीपीसी नहीं की जा रही है। रेगुलर डीपीसी ना करने से मेडिकल कालेज की मान्यताओं के ऊपर भी खतरा मंडरा रहा है।

5. जून को प्रोजेक्ट डायरेक्टर एड्स कंट्रोल सोसायटी का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को पुनः प्रदान करने के संदर्भ में सहमति जताई थी। वहीं धरातल पर ना ही स्वास्थ्य निदेशक की स्थाई नियुक्ति हो पाई है और जो ऐड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को दिया जाना था, वह मामला भी अधर में लटक गया है। 

6. स्वास्थ्य विभाग सेवानिवृत्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पदोन्नति के पदों पर पुनः रोजगार प्रदान कर दिया गया है जोकि संघ की मांगों के विपरीत है। किसी अधिकारी को सेवा विस्तार किए जाने की बात का विरोध जताया है क्योंकि ऐसा करना प्रदेश में बेरोजगार युवा चिकित्सकों के हित में नहीं है। वहीं दूसरी ओर वर्षों से अपनी पदोन्नति का इंतजार कर रहे चिकित्सकों को उस पदोन्नति से वंचित रखना और उनका हक किसी और को दे देना एक दुखद विषय है। 

7. स्वास्थ्य विभाग में स्वास्थ्य निदेशक, उप स्वास्थ्य निदेशक और खंड चिकित्सा अधिकारियों के विभिन्न पद रिक्त चल रहे हैं। इन पदों पर पदोन्नति योग्यता एवम वरिष्ठता के आधार पर शीघ्र की जाए।

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