मुख्यमंत्री ने किन्नौर, कुल्लू, चम्बा तथा कांगड़ा जिला के उपायुक्तों को भू-धंसाव के संभावित क्षेत्रों की पहचान करने तथा रिपोर्ट सरकार को भेजने के निर्देश।कहा, भू-स्खलन तथा भू-धंसाव व सड़क हादसों के ब्लैक स्पॉट्स की अलग-अलग रिपोर्ट सरकार को भेजें।IBEX NEWS,शिमला।

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज शिमला में आयोजित आपदा प्रबंधन की उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इसमंे उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव तथा हिमाचल प्रदेश में ऐसे संभावित स्थानों की पहचान करने पर विस्तृत चर्चा की गई।
इस अवसर पर उन्होंने अधिकारियों को आपदा के दृष्टिगत आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ाने तथा पूर्व चेतावनी प्रसार प्रणाली विकसित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए।


मुख्यमंत्री ने किन्नौर, कुल्लू, चम्बा तथा कांगड़ा जिला के उपायुक्तों को भू-धंसाव के संभावित क्षेत्रों की पहचान करने तथा रिपोर्ट सरकार को भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने उपायुक्तों को भू-स्खलन तथा भू-धंसाव व सड़क हादसों के ब्लैक स्पॉट्स की अलग-अलग रिपोर्ट भेजने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने प्रदेश में विभिन्न आपदाओं से होने वाले नुकसान की विस्तृत जानकारी भी ली। उन्होंने आपदाओं से निपटने के लिए संस्थागत स्तर से लेकर व्यक्तिगत स्तर तक तैयारियों को मजबूत करने व शमन और निवारक उपायों पर विशेष बल दिया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से प्रदेश में भूस्खलन प्रभावित स्थलों तथा सिंकिंग जोन का पूर्ण विवरण लिया। उन्होंने इन क्षेत्रों में जोखिम न्यूनीकरण तथा आपदा प्रबंधन के दृष्टिगत समय-समय पर किए गए विभिन्न उपायों का ब्यौरा भी लिया।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को ग्लेशियर मैपिंग के लिए भी आधुनिक उपकरणों के माध्यम से उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में भूकंप अधिक आते हैं उनका अध्ययन कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिन क्षेत्रों में सर्पदंश की घटनाएं अधिक होती हैं वहां इसके उपचार के लिए प्राथमिक स्तर पर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने ऐसे सभी संभावित क्षेत्रों के स्वास्थ्य संस्थानों में विषरोधक इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल तथा राज्य आपदा मोचन बल की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई भूमि की वन स्वीकृतियां प्राथमिकता के आधार पर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए ताकि केन्द्र सरकार से सभी विकास परियोजनाओं की वन स्वीकृतियों के संबंध में मामला उठाया जा सके। उन्होंने सभी संबंधित विभागों को प्राथमिकता के आधार पर ऐसे मामलों को निपटाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने राज्य आपदा मोचन निधि से हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड को दी जाने वाली राशि में वृद्धि के भी निर्देश दिए। उन्होंने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली में संशोधन के लिए भी अधिकारियांे को निर्देश दिए।
प्रधान सचिव ओंकार शर्मा ने प्रदेश में भूस्खलन प्रभावित स्थानों तथा आपदा प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने राज्य आपदा मोचन निधि व राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि के बारे तथा इससे जिलों को जारी की गई राशि के बारे में भी अवगत करवाया।
बैठक में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, मुख्य संसदीय सचिव किशोरी लाल, विधायक सुरेश कुमार, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव ओंकार शर्मा, विशेष सचिव आपदा प्रबंधन सुदेश कुमार मोख्टा तथा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। सोलन, कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर, सिरमौर, कुल्लू, किन्नौर तथा चंबा जिला के उपायुक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।
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