IBEX NEWS EXCLUSIVE आईजीएमसी में अग्निकांड ने खोली प्रशासन और सरकार की कलई।मौत का सामान पहले ही सजा हुआ था टैरिस पर ।कमर्शियल की बजाय कई घरेलू सिलेण्डरों का उपयोग हो रहा था स्वास्थ्य संस्थान की कैंटीन में।इंजीनियरिंग की मिसाल पेश करने वाली 13 मंज़िला भवन में घटना के वक्त स्प्रिंकलर्स भी नहीं चले।क़रीब आधे घंटे की आग ने निगली लाखों की राशि।दो सिलेंडर फटने से सुबह भड़की आग।

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IBEX NEWS,शिमला।

हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान आईजीएमसी शिमला में लगी आग से राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन की चुस्त कार्यप्रणाली की क़लई खुल गई हैं।मौत का सामान इस कदर टैरिस पर बनी कैंटीन कि रसोई पर सजा हुआ था कि प्रशासन आँख मूँदे था।कैंटीन में कमर्शियल की बज़ाय घरेलू सिलेण्डरों का उपयोग हो रहा था।जब कैंटीन के अन्य सिलेंडरों को नई ओपीडी के बाहर ग्राउंड में रखा गया तो लोग दांतों तले उँगली दबाने को विवश हो गए। लोगों का तर्क रहा कि कैंटीन संचालन के लिए प्रशासन सुस्त रवैया आख़िर क्यों अपनाता रहा है? ऐसे में जब सुगबुगाहट ये भी है कि पूर्व बीजेपी सरकार के कार्यकाल में बिना किसी प्रक्रिया अपनाए या यूँ कहे कि नियमों को धत्ता देकर कैंटीन का आबँटन हुआ हैं। आरोप रहें हैं कि पूर्व सरकार में बैठे बड़े आकाओं के रहमों से इसका आवंटन हुआ है।कमर्शियल सिलिंडर आख़िरकार क्यों उपयोग में नहीं लाए जा रहे थे? ज़िला प्रशासन ने चुप्पी कैसे साधी थी? ये सुस्ती कई लोगों को अपना निवाला बना सकता थी।इस शिथिलता के लिए जो अधिकारी भी ज़िम्मेवार है माँग उठ रही है कि उनके ख़िलाफ़ कड़ी कारवाई होनी चाहिए।बचने के उपाय के लिए आईजीएमसी कैंपस में अफ़वाह ये फूंकी जा रही है कि शोर्ट सर्किट से आग लगी।लेकिन प्रत्यकक्षदर्शी सफ़ाई कर्मियों ने अपनी आँखों के सामने पूरा माजरा देखा की कैसे? क्या हुआ? कैसे किचन की आग की लपटों से घिरे संबंधित कर्मी बाहर भागे है ?

इंजीनियरिंग की अनूठी मिसाल पेश करने वाले 13 मंज़िला भवन में घटना के वक्त लाखों की लागत से स्थापित स्प्रिंकलर्स भी नहीं चले और क़रीब आधे घंटे की आग ने लाखों की राशि निगल ली।

ऐटिक के कमरों मे भीतर से आग से नुक़सान हुआ इन कमरों में बैठने वाले लोगों का कहना है कि कमरों का फ़र्श सूखा था यदि ये चलाये होते तो कुछ हद तक नुक़सान को रोका जा सकता था। किन लोगों की ड्यूटी ऐसे समय के लिए तय हैं ?ऐसा स्टाफ नदारद दिखा।

पूरा ऐटिक भीतर से स्वाह हुआ है।जैसे तैसे डॉक्टरों, प्रोफ़ेसरों ने कैंटीन के साथ सटे अपने कमरों से अपने सामान को बचा लिया। वे ख़ुद इस दौरान जदोजहद में जुटे रहे और आग पर क़ाबू पाने के लिए सुरक्षा गार्डों की भूमिका अहम रही ।

ग़नीमत रही कि सुबह सुबह लोग अस्पताल ड्यूटी को पहुँच ही रहे थे ।लेकिन निचली मंज़िलों में ऑपीडी खचाखच सटी थी। सिलेंडर धमाकों से लोग सहम गए और ओपीडी की निचली मंज़िलों में कुछ देरी के लिए लोगों के बीच अफ़रा तफ़री का माहौल रहा। लोग बाहर की और भागना शुरू हुए ।

नए ओपीडी ब्लॉक में फिजियोथेरेपी वार्ड, स्पेशल वार्ड, इमरजेंसी यूनिट, इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू), आइसोलेशन वार्ड, कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन, एक्स-रे, सैंपल कलेक्शन सेंटर और पैथोलॉजी लैब की सुविधा है। प्रखंड में गंभीर रूप से घायल व अन्य गंभीर मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज की विशेष व्यवस्था है। भवन में मरीजों और उनके परिचारकों के लिए विशाल प्रतीक्षालय हैं। इसके अलावा, इसमें सीएमओ और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के लिए अलग-अलग केबिन चल रहे है। सिलिंडर फटने के धमाके ने सभी को हिला दिया।

बॉक्स

टैरिस पर ही स्थापित टेलीमेडिसिन यूनिट के माध्यम से कोर्ट एविडेंस बीएनसी, पटीशन को रजिस्ट्रेशन और बिलिंग में आईजीएमसी को परेशानी झेलनी होगी। पूरा सिस्टम अग्निकांड से प्रभावित हुआ है।

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