चीन सीमा से सटे किन्नौर और लाहौल और स्पीति जिलों के दूरस्थ और अलग-थलग गाँवों को आजीविका और पर्यटन उन्मुख “जीवंत गाँव” के रूप में विकसित किया जा रहा हैं ,लोगों की टटोलेंगे नब्ज, आईटीबीपी अधिकारियों से भी करेंगे वार्तालाप।कल्पा में भी होगी अहम बैठकें।
मनजीत नेगी/ IBEX NEWS,शिमला।
भारत चीन सीमा के अंतिम छोर पर बसे हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िला के छितकुल गाँव में 8 जून को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह पहुँच रहे हैं । उनके साथ उस दौरान हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू होंगे। CS सहित अन्य आलाधिकारी भी उस अवसर पर मौजूद रहेंगे।
हिमाचल के दो दिवसीय दौरे के दौरान किन्नौर के वे 8 जून को स्थानीय लोगों से छितकुल में बातचीत करेंगे। सीमावर्ती इलाके में क्या समस्या है? रोज़गार के अवसर और जीविका के साधन पर्यटन विकास को लेकर क्या दिक़्क़तें है इनसे संबंधित मामले पर लोगों की वे नब्ज टटोलेंगे।भारत सरकार के “चीन सीमा से अटे हिमाचल के गांवों को ‘जीवंत’” बनाने के ध्येय को लेकर आरके सिंह हिमाचल पहुँच रहे हैं।चीन सीमा से सटे किन्नौर और लाहौल और स्पीति जिलों के दूरस्थ और अलग-थलग गाँवों को आजीविका और पर्यटन उन्मुख “जीवंत गाँव” के रूप में विकसित किया जा रहा हैं ।संशोधित सीमा क्षेत्र विकास योजना (बीएडीपी) के अनुसार, चीन के साथ हिमाचल प्रदेश की 242 किलोमीटर लंबी सीमा के आसपास के क्षेत्र में 198 गांव हैं। प्रारंभ में, अंतिम सीमावर्ती गाँव से 10 किमी की दूरी के भीतर के गाँवों को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाएगा।वाइब्रेंट विलेज के
तहत आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी, पर्यटन पर ध्यान देने से रोजगार के अवसर सृजित होंगे। छितकुल को भी इसी दायरे में लाया जा रहा है। 8 जून को छितकुल से बड़ी ऐतिहासिक घोषणा हो सकती है।VVIP दौरे को देखते हुए ज़िला प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। ज़िला उपायुक्त तोरुल एस रवीश और SP किन्नौर विवेक चेहेल छितकुल पहुँचे हैं।
IBEX NEWS से विशेष बातचीत में डीसी किन्नौर ने बताया कि हम VVIP मूवमेंट को लेकर पूरी तरह तैयार हैं।हमारी तैयारियाँ पूरी है और मुख्य फंक्शन छितकुल में ही आयोजित होना है। वहीं SP किन्नौर विवेक चेहेल का कहना है कि ट्रैफिक व्यवस्था को मज़बूत किया गया है । सांगला हैलीपैड कुप्पा के बाद छितकुल के लिये वाया रोड VVIP मूवमेंट है।
अब तक, विकास योजनाएँ सड़कों, स्कूलों, जलापूर्ति योजनाओं, अस्पतालों, घरों जैसे पूंजीगत बुनियादी ढाँचे के विकास तक ही सीमित थीं।
संशोधित योजना के तहत, यह एक पूर्ण पैकेज होगा, जो आजीविका प्रदान करेगा और संचार को मजबूत करने, पर्यटन केंद्रों और स्थलों को विकसित करने, बेहतर और सुलभ सड़क संपर्क पर ध्यान देने के साथ महत्वपूर्ण अंतराल को भरेगा।सीमा पर अंतिम गांव को प्लॉट किया जाएगा और विकास के लिए 10 किमी की दूरी के भीतर आने वाले गांवों को कवर करने और सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक आर्च तैयार किया जाएगा। इससे सीमावर्ती गांवों को एकीकृत करने और जनजातीय लोगों के प्रवास की जांच करने में भी मदद मिलेगी।
छितकुल, सुमदोह, चांगो और नामगिया कुछ ऐसे गांव हैं जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के सबसे करीब हैं। चीन और भारत के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ नौ दर्रे (लाहौल और स्पीति में दो और किन्नौर में सात) हैं।इस संबंध में बताते है कि कल्पा में भी नाउ जून को अधिकारियों के साथ अहम बैठकें होगी।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है।सचिव सीमा प्रबंधन के साथ बातचीत कर किन्नौर और लाहौल और स्पीति जिलों के उपायुक्तों को संवेदनशील बना दिया गया है।
अब तक, विकास योजनाएं सड़क, स्कूल, जलापूर्ति योजनाओं, अस्पतालों, घरों जैसे पूंजीगत बुनियादी ढांचे के विकास तक ही सीमित थीं। हालांकि, बीएडीपी के तहत, यह एक पूर्ण पैकेज होगा, जो आजीविका प्रदान करेगा और संचार को मजबूत करने, पर्यटन केंद्रों और साइटों को विकसित करने, बेहतर और सुलभ सड़क संपर्क, नवीकरणीय ऊर्जा का प्रावधान, डीटीएच सेवाओं और अन्य सुविधाओं पर ध्यान देने के साथ महत्वपूर्ण अंतराल को भरेगा। .केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित कार्यक्रम का उद्देश्य चीन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर विकसित की जा रही बुनियादी ढाँचे के निर्माण की गतिविधियों और मॉडल गाँवों का मुकाबला करना है।
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ऐसा होगा केंद्रीय मंत्री और सीएम का किन्नौर दौरा :