IBEX NEWS,शिमला।
हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र किन्नौर व लाहौल-स्पीति जिले की 13 पंचायतों के जनप्रतिनिधियों ने चीन सीमा के निकट लियो से चांगो सड़क निर्माण की माँग की है और ये समय की ज़रूरत भी है। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह इसे सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को सौंपने का मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उठाएंगे। इस सड़क निर्माण से क्षेत्र के लोगों को निर्बाध परिवहन सुविधा मिलेगी और पर्यटकों को भी आवागमन से संबंधी समस्याओं से निजात मिलेगी। सेना व अर्द्धसैनिक बलों के लिए भी यह लाभप्रद होगी।राज्यपाल से मंगलवार को राजभवन में जनप्रतिनिधियों ने भेंट की। राज्यपाल ने कहा कि वह प्रधानमंत्री से जनजातीय क्षेत्र में नौतोड़ की बहाली करने का मामला भी उठाएंगे और बीआरओ को सड़क निर्माण कार्य सौंपने के बारे में अवगत करवाएंगे। उन्होंने कहा कि हाल ही में जनजातीय क्षेत्र में किए गए उनके दौरे का उद्देश्य सीमा पर तैनात सैनिकों और इस क्षेत्र के निवासियों की कठिनाइयों और समस्याओं को जानना था। राज्यपाल ने किन्नौर और स्पीति घाटी के लोगों की आतिथ्य सत्कार भावना की भी सराहना की।
प्रतिनिधिमंडल ने लियो से चांगो सड़क के निर्माण कार्य सहित इन क्षेत्रों की अन्य विकासात्मक आवश्यकताओं से उन्हें अवगत करवाया। चीन शासित तिब्बत सीमा से सटी इस सड़क के निर्माण कार्य सहित इन क्षेत्रों की अन्य विकासात्मक आवश्यकताओं से उन्हें अवगत करवाया। राज्यपाल ने कहा कि 11 किलोमीटर लंबी इस सड़क के निर्माण कार्य में गति लाने के लिए प्रदेश सरकार से सिफारिश करेंगे।
चीन सीमा तक पहुंचने के लिए यह है सरकार का नया प्लान
चीन सीमा तक इस सड़क से पहुंचने की यह योजना वर्ष 2015 में बन गई थी। योजना यह थी कि लियो से चांगो तक इस सड़क के बनने से सामरिक महत्व का हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग भी बार-बार अवरुद्ध नहीं होगा। किन्नौर और स्पीति की सीमा पर मलिंग पहाड़ी से लगातार भूस्खलन के चलते यह मार्ग वर्तमान में अवरुद्ध होता रहता है। केंद्र ने उस वक्त भी इस सड़क निर्माण में मदद का आश्वासन दिया था, जो आज तक सिरे नहीं चढ़ी। लियो से चीन सीमा 63 किलोमीटर दूर है। लियो से चांगो वाया मलिंग 30 किलोमीटर है। लियो से चांगो वैकल्पिक मार्ग बनने से यह दूरी 17 किलोमीटर रह जाएगी। इस वैकल्पिक मार्ग की ऊंचाई भी 800 मीटर कम हो जाएगी। वर्तमान में जा रही सड़क की ऊंचाई 3800 मीटर है।