BREAKING :वाइब्रेंट विलेज छितकुल 5G सेवा से जुड़ा।केंद्र सरकार व पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना के तहत हिमाचल प्रदेश के कबाइली ज़िला किन्नौर के इस गाँव से पहल।सीमावर्ती क्षेत्र का ये पहला गाँव 5G सुविधा से कनेक्ट, पर्यटकों सहित सैंकड़ों लोग ,आईटीबीपी सेना लाभान्वित होंगे।

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IBEX NEWS ,शिमला।

वाइब्रेंट विलेज छितकुल 5G सेवा से जुड़ गया।केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी वाइब्रेंट योजना के तहत भारत तिब्बत सीमावर्ती क्षेत्र के हिमाचल प्रदेश के कबाइली ज़िला किन्नौर के छितकुल गाँव से ये पहल हो गई हैं।सीमावर्ती क्षेत्र सांगला घाटी ने भारत तिब्बत के आख़िरी छोर पर बसे छितकुल 5G से कनेक्ट हुआ है । यहां के लोग इस सुविधा से बाग बाग है ,पर्यटकों सहित स्थानीय लोगों , आईटीबीपी सेना को इसका लाभ होगा ।पहले बीते दो साल पहले तक लोग मोबाइल सिग्नल न होने के कारण गाँव से कोसों दूर बड़ी बड़ी चट्टानों के ऊपर मोबाइल सिग्नल ढूँढते थे।आज रिलायंस जिओ 5G नेटवर्क से छितकुल कनेक्ट कर दिया हैं।इससे पहले यहाँ 4G सुविधा थी।रिलायंस जिओ के संबंधित क्षेत्र के टेक्निशियन रणजीत सिंह नेगी ने इसकी पुष्टि की है कि आज ऐतिहासिक पहल हुईं है ।

गाँव के प्रधान सुभाष नेगी और उपप्रधान अरविंद नेगी ने सरकार का इसके लिए आभार जताया हैं।हिमाचल प्रदेश का ये पहला गाँव हैं जहां से ये पहल हुईं हैं।

केंद्र सरकार में ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने हिमाचल के वाइब्रेंट विलेज के दौरे के दौरान इस बाबत घोषणा की थी कि केंद्र सरकार सभी बेसिक सुविधाएँ यहाँ विकसित करेगी।केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत इन गाँवों को एक तरीक़े से गोद लिया है।आरके सिंह के हिमाचल दौरे के दौरान सीएम सुखविंदर सिंह और बाग़वानी , राजस्व एवं जनजातीय विकास विभाग के मंत्री जगत सिंह नेगी भी उनके साथ थे।लोगों से उनकी समस्या को सुना था और उनमें ये अहम थी।

लोग सीमावर्ती इस गाँव में ऐश फाइव जी से जुड़ गए हैं ये गौरव की बात है लोग अब मोबाइल डेटा की कमी से नहीं ज़ूझेंगें: रणजीतसिंह नेगी टेक्निशियन रिलायंस जिओ।

दीगर हो कि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के चार अन्य गांवों के साथ छितकुल को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत विकसित करने के लिए चुना गया है।

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के चार अन्य गांवों के साथ छितकुल को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत विकसित करने के लिए चुना गया है : सुरेश सुपरवाइज़र रिलायंस जिओ किन्नौर।

यह पहल एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य उत्तरी सीमा क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को बढ़ावा देना और इन गांवों को नागरिक सुविधाओं के बराबर आधुनिक सुविधाएं प्रदान करना है।

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत व्यापक विकास के लिए अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उत्तरी सीमा से सटे 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में 2967 गांवों की पहचान की गई है। पहले चरण में, प्राथमिकता के आधार पर 662 गांवों की पहचान की गई है, जिनमें अरुणाचल प्रदेश के 455 गांव, हिमाचल प्रदेश के 75, लद्दाख के 35, सिक्किम के 46 और उत्तराखंड के 51 सीमावर्ती गांव को शामिल किया गया है।

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हालाँकि आईटीबीपी सेना को इससे कोई फ़ायदा नहीं हुआ है। मस्तरंग आर्मी एरिया में सिग्नल प्रॉब्लम है। वहाँ 4 g भी नहीं चल रहा है। रक्छम गाँव का टावर सिग्नल यहाँ आता है। फाइव जी कीसुविधा नहीं मिल पाएगी।

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सीमावर्ती गांवों से पलायन रोकने का लक्ष्य

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सरकार सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाकर सीमावर्ती गांवों के पलायन को रोकना चाहती है।जिससे इन गांवों से पलायन रुक सके और सीमा सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिल सके।हाल ही में पीएम मोदी ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” को देश के सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की कुंजी बताते हुए कहा कि यह हमारे सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए बहुत अहम है.

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वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के फायदे?

सरकार के द्वारा सीमा से लगे हुए गांवों में विकास के साथ आजीविका भी मुहैया करवाई जाएगी। जिसके चलते लोगों का वहां से पलायन करने का सिलसिला भी कम हो जाएगा।इस प्रोग्राम के आने से विकास दर की रफ़्तार तेज हो जाएगी. साथ में महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने पर भी फोकस किया जाएगा. इस कार्यक्रम के अंतर्गत आर्थिक विकास, मोबाइल तथा इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केंद्र, आजीविका के अवसर सृजन, सड़क मार्ग संपर्क, आवास एवं ग्राम अवसंरचना, पारंपरिक एवं सौर व पवन ऊर्जा के माध्यम से अक्षय ऊर्जा उपलब्ध कराना, सूचना तंत्र आधारित कॉमन सर्विस सेंटर सहित गांवों में दूरदर्शन और दूरसंचार कनेक्टिविटी की स्थापना और स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा, वित्तीय समावेशन कौशल विकास एवं उद्यमिता कृषि बागवानी, औषधीय जड़ी बूटी की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों के प्रबंधन के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास करेगी।वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत “एक गांव एक उत्पाद” की अवधारणा पर स्थायी इको-एग्री बिजनेस के विकास पर ध्यान केंद्रीत किया जायेगा।

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम: 

  • यह एक केंद्रीय वित्तपोषित कार्यक्रम है जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट वर्ष 2022-23 (2025-26 तक) में उत्तर में सीमावर्ती गाँवों को विकसित करने और ऐसे सीमावर्ती गाँवों के निवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लक्ष्य के साथ की गई।
  • इसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाखके सीमावर्ती क्षेत्र शामिल होंगे।
  • इसके तहत 2,963 गाँवों को कवर किया जाएगा, जिनमें से 663 को पहले चरण में कवर किये जाएंगे।  
  • ग्राम पंचायतों की सहायता से ज़िला प्रशासन द्वारा वाइब्रेंट विलेज़ एक्शन प्लान बनाए जाएंगे।  
  • वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की वजह से ‘सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ के साथ ओवरलैप की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।
  • उद्देश्य:
    • यह योजना उत्तरी सीमा पर सीमावर्ती गाँवों के स्थानीय, प्राकृतिक, मानव तथा अन्य संसाधनों के आधार पर आर्थिक चालकों की पहचान एवं विकास करने में सहायता करेगी।
    • सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देने, कौशल विकास तथा उद्यमिता के माध्यम से युवाओं एवं महिलाओं के सशक्तीकरण के माध्यम से ‘हब एंड स्पोक मॉडल’ (Hub and Spoke Model) पर आधारित विकास केंद्रों का विकास करना। 
    • स्थानीय, सांस्कृतिक, पारंपरिक ज्ञान और विरासत को बढ़ावा देकर पर्यटन क्षमता का लाभ उठाना।  
    • समुदाय आधारित संगठनों, सहकारी समितियों और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से ‘एक गाँव-एक उत्पाद’ की अवधारणा पर स्थायी पर्यावरण-कृषि व्यवसायों का विकास करना।

वाइब्रेंट विलेज छितकुल 5G सेवा से जुड़ा।केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत हिमाचल प्रदेश के कबाइली ज़िला किन्नौर के इस गाँव से पहल।सीमावर्ती क्षेत्र का ये पहला गाँव 5G सेवा से जुड़ गया। यह के स्थानीय बाशिंदे के फ़ोन का स्क्रीन शोट्।

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