हिमाचल में भी डाक्टर्स सेफ नहीं।चिकित्सा अधिकारी संघ ने जड़े गंभीर आरोप।माँगों को लेकर संघर्ष की राह पर चलने पर सीधे सरकार उसका तबादला कर देती है। पढ़ें विस्तार से…

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हिमाचल में हड़ताल पर गए डॉक्टरों ने हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ कोलकाता में महिला रेजिडेंट डॉक्टर की निर्मम हत्या पर दुख और संवेदना व्यक्त की है । ऐसा जघन्य अपराध निंदनीय और दंडनीय है । मामले पर न्याय की गुहार लगाई है।

डॉ विकास ठाकुर महासचिव हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ ने जारी प्रेस विज्ञप्ति ने आरोप मढ़े हैं कि संघर्ष की राह अपनाने पर चिकित्सकों की मांगों को दबाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश की राज्य कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष,सहसचिव कोषाध्यक्ष के तबादले भी कर दिए। वहीं संघ की जिला इकाइयों से सोलन जिला के अध्यक्ष, किनौर जिला के महासचिव, हमीरपुर जिला के कोषाध्यक्ष, कुल्लू जिला के केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के प्रतिनिधि का भी स्थानांतरण किया जा चुका है।

IBEX NEWS,शिमला।

  हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ कोलकाता में महिला रेजिडेंट डॉक्टर  की निर्मम हत्या पर दुख और संवेदना व्यक्त करता है । ऐसा जघन्य अपराध निंदनीय और दंडनीय है । और इस संदर्भ में न्याय की गुहार लगाता है। 
   ऐसी घटना पूरे देश में बार-बार होती आई है । ऐसा पिछले वर्ष केरल में हाउस सर्जन के साथ भी हुआ जब एक अपराधी ने पुलिस के निगरानी में उसे मौत के घाट उतार एसे अनेकों उदाहरण हैं।पूरा भारतवर्ष चिकित्सकों की सुरक्षा की कड़ी मांग करता है। इससे पहले भी ऐसे हादसे से हिमाचल में भी हो चुके हैं एक महिला चिकित्सक को भीड़ की  हिंसा के चलते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सैंज कुल्लू जिला में हेड इंजरी हो गई थी। इस संदर्भ में भी संघ ने उसे समय चिकित्सकों की सुरक्षा के साथ-साथ हेल्थ इंस्टीट्यूशन में हेल्थ केयर पर्सन फॉर हेल्थे केयर प्रोफेशनल्स और इंस्टीट्यूशन प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन एक्ट के तहत नियम लागू करने की मांग की  थी। लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी इस समस्या को स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दरकिनार कर दिया गया। आज भी हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था स्टेट हेल्थ प्रोटेक्शन एक्ट जो कि केंद्रीय  हेल्थ प्रोटेक्शन एक्ट की तहत शीघ्र अति शीघ्र लागू करने की सरकार से मांग करता है। हिमाचल में कई जगहों पर राजकीय सेवाएं देने के लिए स्टाफ नर्सो और महिला चिकित्सकों एवं चिकित्सकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने के कारण एक खौफ का माहौल बन गया है। इससे उन्हें मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। संघ की सरकार से मांग है की प्रदेश के समस्त हेल्थ प्रोफेशनल्स की सुरक्षा व्यवस्था और हेल्थ प्रोटेक्शन नियम शीघ्र लागू किए जाएं। 
   हिमाचल में भी चिकित्सक कई संस्थानों पर दिन-रात सेवाएं दे रहे हैं ,कई स्वास्थ्य संस्थान जहां रात्रि सेवाएं दी जाती हैं वह कोई भी चिकित्सक तैनात नहीं है तो इधर-उधर से डेपुटेशन करके जुगाड़ के सहारे स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही है। वहीं कहीं जगह पर एक या दो चिकित्सक हैं वहां यह तो एक-एक माह तक दिन-रात सेवाएं देना पड़ रही है या 15- 15 दिन दैनिक और 15 दिन रात्रि सेवाएं देना पड़ रही है । इस तरह से इन स्थानों में इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के तहत पद ना बढ़ाने के चलते कई चिकित्सक गण और उनके परिवार मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रहे है अतः संघ की मांग है कि चिकित्सकों की ड्यूटी करने की अवधि निर्धारित की जाए और ऐसे संस्थानों को सुदृढ़ किया जाए। हाल ही में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और नागरिक चिकित्सालयों से चिकित्सकों का स्थानांतरण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कर दिया गया ,ऐसा क्योंकि विभाग ने पिछले दो वर्षों से चिकित्सकों की कोई भी नियुक्ति नहीं की गई है।
  संघ मुख्यमंत्री का प्रदेश की जनता को आदर्श स्वास्थ्य केंद्र समर्पित करने के प्रस्ताव का हार्दिक स्वागत करता है। लेकिन चिकित्सकों को पहले 1 साल के बाद ही पीजी करने के लिए भेज दिया जाता था लेकिन अब उन्हें 1 से  4 साल के बाद पीजी करने के लिए भेजा जा रहा है और उनके इंसेंटिव मार्क्स भी इस अवधि को पूरा करने के बाद दिए जा रहे हैं । जिसे पहले की तर्ज पर उनके डेट ऑफ जॉइनिंग से जोड़ा जाए। इस संदर्भ में पहले भी संघ कई बार संशोधन करने की मांग उठा चुका है लेकिन कोई भी ठोस  कदम इस संदर्भ में विभाग ने नहीं उठाया है। प्रदेश के चिकित्सकों के लिए प्रदेश में ही  पीजी के और परीक्षा केंद्र  उपलब्ध  करवाए जाए जिसके चलते चिकित्सकों को दूसरे राज्यों की यात्रा  न करनी पड़े।
संघ ने अपनी मांगे कई बार स्वास्थ्य विभाग के सामने रखी। इस संदर्भ में 56  दिन संघर्ष का रास्ता भी अपनाया। हर बार संघ को आश्वासन दिया जाता है और विभाग उनकी मांगों को लेकर कोई भी सुनवाई नहीं करता है।  माननीय मुख्यमंत्री महोदय से फरवरी माह में संघ की वार्ता में उन्होंने कहा था की ऑनलाइन ए सी आर मंगवा कर शीघ्र ही खंड चिकित्सा अधिकारियों की पदोन्नति की जाए लेकिन स्वास्थ्य विभाग 3 सालों से ऐसा करने में असमर्थ रहा है। डायनेमिक करियर प्रग्रेशन केंद्रीय सरकार की तर्ज पर दी जाए। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य की शक्तियां पुनः वापिस की जाए। पूरे देश भर में एनपीए दिया जा रहा है ऐसे यथावत पुनः शुरू किया  जाए। स्वास्थ्य विभाग 8 वर्षों से चिकित्सकों की वरिष्ठता सूची नहीं बन पाई  है और उनकी सूची में जो चिकित्सक स्वर्ग सिधार चुके हैं या नौकरी छोड़ चुके हैं आज भी उनकी ए सी आर टटोलने में जुटा हुआ है। 
              संघर्ष की राह अपनाने पर चिकित्सकों की मांगों को दबाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने  प्रदेश की राज्य कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष,सहसचिव कोषाध्यक्ष के तबादले भी कर दिए। वहीं  संघ की जिला इकाइयों से सोलन जिला के अध्यक्ष, किनौर जिला के महासचिव, हमीरपुर जिला के कोषाध्यक्ष, कुल्लू जिला के केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के प्रतिनिधि का भी स्थानांतरण किया जा चुका है। स्वास्थ्य विभाग का ऐसा किया जाना संघ की मांगों को दबाने का सीधा प्रयास है यह प्रजातंत्र की मर्यादा का हनन है। कोई भी संगठन सरकार और कर्मचारियों के बीच पुल का काम करती है। ऐसे में विभाग के उस पुल को ही  तोड़ा जाए तो कर्मचारियों का मनोबल निःसंदेह टूटेगा। संघ ने हमेशा ही अपने मांगों को सरकार के सामने रखा है लेकिन वार्ता के बाद विभाग ने कोई भी ठोस कदम इस संदर्भ में नहीं उठाए हैं।
      संघ माननीय मुख्यमंत्री से यह प्रार्थना है कि हमारी मांगों पर शीघ्र अति शीघ्र विचार किया जाए।

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