……हिमाचल मे पीजी पासआउट होने वाले डॉक्टरों को सता रही चिंता
…. कई विभागों के पीजी डॉक्टरों को सरकार नहीं दे रही विशेषज्ञता भत्ता
….क्लर्क ,साधारण एमबीबीएस से भी कम कई विशेषज्ञों को मिल रही तनख्वाह,40हजार दे रही है सरकार
मनजीत नेगी,शिमला
हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं पर लगता हैं बट्टा लगाने की तैयारियां चल रही है और इस सम्बंध में विभागीय अफसरशाही की चुस्त कार्यशैली एक बार फिर सुर्खियों में है। आलम ये है प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सीय संस्थान आईजीएमसी शिमला और टांडा मेडिकल कालेज के कई विभागों से स्नात्तकोत्तर पीजी डिग्री धारक डॉक्टरों को फील्ड में सेवाएं देने के बाद मासिक वेतन क्लर्क से भी कम दिया जा रहा है। 10 लाख रुपए का पीजी का बॉन्ड भरने के बाद महज 40,000 रुपए के वेतन पर नौकरी दी गई है। ऊपर से हैरान करने वाली बात ये भी कि अप्रैल महीने में 40 लाख का बॉन्ड भरने वाला पीजी बैच मेडिकल कॉलेजों से पास आउट होने वाला है। उन्हे और इनके अभिभावकों को चिंता सता रही है है कि चालीस लाख के बॉन्ड भरने के बावजूद हिमाचल में 2साल महज चालीस हजार में ड्यूटी बजाना कैसे संभव बनाया गया है। बाहरी राज्यों में विशेषज्ञों को लाखों रुपए के पैकेज की घोषणा होती है।हालांकि 20 विभिन विभागों में से करीब नौ विभागों के लिए ऐसे अनूठे फरमान हिमाचल में चल रहे हैं।वो भी तब जब करोड़ों रुपए की लागत से हिमाचल के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान की सुपर स्पेशलाइजेशन सुविधाओं वाला अस्पताल चमयाना शिमला में तैयार है।
मिली जानकारी के अनुसार सरकार पीजी डायरेक्ट उम्मीदवारों से अनुबंध पर विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं दिन रात ओपीडी, इमरजेंसी सहित ले रही हैं। स्टाफ के नाम पर अस्पताल में इनके साथ कई जगह कोई नहीं हैं। ये मामला प्रदेश के दूरदराज के किसी क्षेत्र का नहीं अपितु हिमाचल की राजधानी के कुमारसेन बड़ागांव सामुदायिक स्वास्थय केन्द्र का है,परंतु अकेला नहीं है।कांगड़ा जिला के जयसिंहपुर में माइक्रोबायोलॉजी विशेषज्ञ के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। बड़ागांव स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक श्वासरोग विभाग से पीजी पास आउट है।इनका कहना है कि जब नियुक्ति की गई तब कोई पेच नही फंसाया गया। बीते वर्ष नवंबर महीने से 40 हजार तनख्वाह के साथ फरवरी महीने तक इंसेंटिव भी मिला। कुल मिलाकर 80,000 रुपए मिलते थे। अब 28जनवरी2019 की अधिसूचना का हवाला देते हुए अफसरशाही दुत्कार रही है कि संबंधित विभाग के पीजी डॉक्टर विशेष भत्ते के हकदार नही है। 40000 रुपए इंसेंटिव फरवरी माह से काट दिया गया है वो भी बिना बताए।न ही ये स्पष्ट किया गया है कि सरकार 40000 रुपए किस किस मद्य में कितना कितना दे रही है। नौकरी छोड़ना चाह रहा हूं।
उधर जयसिंहपुर के चिकित्सक को 35 हजार इनसेंटिव मिलने थे तो उन्हें ज्वाइनिंग के बाद से ये इंसेंटिव मिला ही नहीं। हिमाचल में एरिया के हिसाब से विशेषज्ञता भत्ता मिलता है। बताते की अफसरशाही ने बस कागजी पुलिंदा थमाते हुए भौवें तरेरी है कि नियमों के मुताबिक मेडिसिन, सर्जरी, निश्चेतन,ओबीजी,बाल रोग, रेडियोलॉजी, आर्थो,आई और आंख/नाक/गला विभाग के पीजी अनुबंध डॉक्टरों को ही यह दिया जाता है। पैथोलॉजी, रेडियोथेरेपी, फोरेंसिक,स्किन , मनोरोग,माइक्रोबायोलॉजी, पीएसएम,श्वास रोग विभाग आदि को नहीं मिलेगा। जबकि पल्मोनरी मेडिसिन विभाग मेडिसिन विभाग का ही हिस्सा माना जाता है बावजूद इसके इंसेंटिव से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। परिणामस्वरूप इन डॉक्टरों का वेतन साधारण एमबीबीएस डॉक्टरों से कहीं कम हो गया है। हिमाचल में एक साधारण एमबीबीएस डॉक्टरों से भी कम वेतन विषेषज्ञ डॉक्टरों को सरकार दे रही है।
यही नहीं बताते है की कई डॉक्टर मासिक वेतन की अनियमितताओं की दुहाई देते हुए सचिवालयों के गलियारों की खाक छानते रहे। मामला ठंडे बस्ते में रहने से अब मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी सहित दूसरे संस्थानों में सीनियर रेजीडेंसी करने चले गए है।
विशेषज्ञों का कहना है की यदि हिमाचल में डायरेक्ट पीजी उम्मीदवारों के लिए करीब 10 विभागों के लिए यही सुस्त रवैया रहता है तो आने वाले दिनों में प्रदेश से ब्रेन ड्रेन हो सकता है।
ऐसे में जब बीते सप्ताह अप्रैल में हिमाचल में पीजी डॉक्टरों का कोर्स या अवधि पूरी हो गई है। हिमाचल में पीजी के बाद डॉक्टर भाग न जाए इसके लिए अब चार गुना ज्यादा पैसों का बॉन्ड भराया गया है।यानी दस लाख की बजाय 40लाख है।
इस सम्बंध में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव स्वास्थ्य सुभाशीष पांडा ने बताया कि पीजी डॉक्टरों को नियमों के अनुसार वेतन दिया जा रहा है। किसी का वेतन काटने का कोई निर्देश सरकार की और से नहीं है। पूरे मामले को देखा जायेगा। विभाग में अनुबंध पर तैनात पीजी इनसेंटिव की अनियमितताओं को चेक किया जाएगा। कोई विशेष मामला भी पीजी डॉक्टरों का होगा तो पूरा हक मिलेगा।
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