· लंपी रोग की गंभीर स्थिति को लेकर किसान सभा ने फिर से सरकार को चेताया · पशुपालन मंत्री को भेजा ज्ञापन

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· सरकार की गलतियों का खामियाज़ा फील्ड स्टाफ को भुगतना पड़ रहा है।
· जनता उलझ रही है फील्ड स्टाफ से सरकार उत्सवों में मस्त।

IBEX NEWS ,शिमला।

हिमाचल किसान सभा का मानना है कि प्रदेश के अन्दर पशुओं में लंपी वायरस के प्रकोप की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। प्रदेश में अब एक लाख से ऊपर पशु इस रोग से संक्रमित हो चुके हैं और मरने वाले पशुओं की संख्या 7 हज़ार से ऊपर चली गई है। अक्तूबर महीने में 6 दिनों में ही 792 पशु मर चुके हैं। रोग हर दिन नये क्षेत्रों में फैल रहा है।

हिमाचल किसान सभा ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि सरकार इस समस्या के बारे में बिल्कुल भी चिंतित नज़र नहीं आ रही।

हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तँवर ने कहा कि किसान सभा ने गत 12 अगस्त और 1 सितम्बर को विभाग के ज़रिये माननीय मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा था जिसमें किसान सभा ने अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा था कि पशुपालक इस समय आपदा की स्थिति से गुज़र रहे हैं। उनकी आजीविका पर चौतरफा संकट है। उनके हज़ारों रुपये का पशु बीमार है या मर रहे हैं, पशुओं के इलाज पर उनका भारी पैसा खर्च हो रहा है। पशुओं का दूध भी कम हो गया है। जिस घर में पशु में यह बीमारी है उस घर से उपभोक्ता भी दूध नहीं खरीद रहे हैं।

डॉ. तँवर ने साफ तौर पर कहा कि इस समय पशुपालन विभाग का ढांचा बहुत ही कमज़ोर है और तो पशुओं को पर्याप्त इलाज नहीं मिल पा रहा है। पशुओं की वैक्सीनेशन नहीं हो पा रही है क्योंकि स्टाफ कम होने के अलावा अभी विभाग के आंकड़ों के अनुसार भी 3 लाख 20 हज़ार वैक्सीन की डोज़ की आवश्यकता है जिसके एवज़ में विभाग के पास केवल 83983 वैक्सीन की डोज़ ही उपलब्ध है।

डॉ. तँवर ने कहा कि स्टाफ की कमी के कारण सेवाएं न मिलने पर पशुपालकों का गुस्सा फील्ड स्टाफ और डॉक्टरों पर उतर रहा है। दुख और दबाव में लोग गलत जगह उलझ रहे हैं जबकि इसमें ढील और लापरवाही सरकार के स्तर पर है। सरकार ने विधानसभा में घोषणा करने के बावजूद लंपी को अभी तक भी महामारी घोषित नहीं किया गया है और न ही पशुओं की मौत पर मुआवज़ा देने का ऐलान करने के बावजूद किसी भी पशुपालक को अभी तक मुआवज़ा मिला है।

डॉ. तँवर ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार पशुालन विभाग में खाली पड़े पदों को नहीं भर रही है। फील्ड स्टाफ के लिए फील्ड में जाने के लिए गाड़ियों की व्यवस्था नहीं है। मजबूरी में स्टाफ या तो अपने निजी वाहन का प्रयोग कर रहे हैं या फिर इसका बोझ पहले से पीड़ित पशुपालकों पर पड़ रहा है जो 500 से लेकर 1000 रुपये एक बार के लिए आ रहा है।

ज्ञापन के ज़रिये किसान सभा ने सरकार से मांग कि है कि

पशुपालकों को तुरन्त राहत दी जाए

  1. लंपी वायरस की वजह से जिन पशुपालकों के पशु मरे हैं उन्हें तुरन्त मुआवज़ा दिया जाए।
  2. जिन पशुपालकों ने पशु खरीदने के लिए ऋण लिया है और पशु मर गया है, उनका ऋण माफ कर दिया जाए।
  3. बहुत से पशुपालकों की आजीविका का एकमात्र ज़रिया दूध बेचना है। लेकिन लंपी महामारी की वजह से उनके पशुओं की उत्पादकता कम हो गई है। कई पशुपालकों के दूध देने वाले पशु की मौत हो गई है। इसलिए सरकार ऐसे परिवारों के लिए भी न्यूनतम मुआवज़े का प्रावधान करना चाहिए।

किसान सभा ने पशुपालन विभाग के ढांचे को मज़बूत करने की मांग करते हुए कहा कि

· सरकार पशुपालन विभाग में तुरंत खाली पड़े पदों पर भर्ती करे।

· इस महामारी के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान करे।

· इस वायरस से रोकथाम की दवाइयों की किट भी प्रत्येक पशु औषधालय तक उपलब्ध करवाई जाए।

· पशु औषधालयों में लंपी वायरस के टीकों की पर्याप्त संख्या उपलब्ध करवाई जाए और टीकाकरण की मुहिम में तेजी लाई जाए।

· इस समय स्टाफ के लिए वाहनों का प्रबंध करना चाहिए या उन्हें निजी वाहन चलाने पर उनके लिए बजट का प्रावधान करना चाहिए। छुट्टियों में सेवाएं देने के लिए उन्हें विशेष भत्ता दिया जाना चाहिए।

· महामारी को लागू करने के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय समिति का गठन होना चाहिए ताकि सरकार के किसी भी निर्देश का पालन करने में देरी न हो।