बीआरओ अभी भी फील्ड में डटा,रात 10बजे के बाद कभी भी एनएच 5खुलने की पूरी संभावना। लियो कैंची पर कसरत बरकरार।

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मनजीत नेगी/IBEX NEWS, शिमला

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला के शलखर में बादल फटने की घटना से बाढ़ और भूस्खलन से अवरूद्ध राष्ट्रीय राजमार्ग मार्ग 5 शीघ्र खुल सकता है। बीआरओ फील्ड में अभी भी जुटी है ।काह _डोगरी से लियो केंची ब्लॉक को खोला जा रहा है,उसके बाद काजा तक वाहनों की आवाजाही सरपट होगी।

अब 10बजे के बाद कभी भी शलखर से मलिंग और पूह से मलिंग तक मार्ग क्लीयर होने की संभावना जताई गई है।चांगो से नाको पहले ही क्लीयर है।

सीमा सुरक्षा संगठन के जवानों की कड़ी मेहनत के बाद ऐसा संभव दिख रहा है। बीआरओ के अधिकारी भी इसकी पुष्टि कर रहे है कि रात 10बजे के बाद कभी भी वाहनों की आवाजाही शुरू की जा सकती है। लेकिन गौर करने लायक बात ये भी है कि निगुलसरी जिला प्रशासन ने सायं 8से सुबह 6बजे तक भूस्खलन के खतरे को भांपते हुए पहले ही प्रतिबंधित किया है।

जबकि शलखर से पूह के बीच बीते कल से कई जगह दोबारा भूस्खलन हो गया था जिससे हालत बदतर हो गए और रोड बहाल नहीं हो पाया था।मंगलवार सुबह से बीआरओ फील्ड पर पसीना बहा रहा है।आज देर रात एनएच यहां बहाल हो सकता है।

ऐसे में जब बुधवार सुबह फिर से मशीनरी और जवान तैनात हैं।


हालांकि मंगलवार दोपहर 2बजे के करीब एकबार वाहनों की आवाजाही हुई थी,लेकिन बाद में वाहन रोकने पड़े। समदो से काजा सड़क दुरुस्त है (बीआरओ) सीमा सुरक्षा संगठन मंगलवार सुबह 6बजे से सड़क क्लियरेंस के लिए मौके पर मोर्चा संभाला। आगे शलखर गांव और गु _ नाला में फिर सड़क मार्ग पर बड़ी बड़ी शिलाओं ने मंगलवार को शलखर को पूरी तरह शिलखा दिया था।सोमवार शाम को शलखर् गांव में बादल फटने से कई नालों में बाढ़ आ गई थी। कई बगीचे, खेत खराब हो गए और घरों में बाढ़ का मलवा घुस गया था।

लियो केंची मोड पर बाढ़ से बाधा खड़ी हो गई थी।और मलिंग से आगे भी बाढ़ ने तेवर टेढ़े किए है।

ये राजमार्ग देश की सुरक्षा को देखते हुए भी काफी अहम है। शिमला-कल्पा-पूह राजमार्ग काजा होते हुए चीन की सीमा को जोड़ता है। शलखर लियो में भूस्‍खलन के बाद ये राजमार्ग पूरी तरह से बंद है।

हमेशा से ही इस मार्ग को सेना के लिए काफी अहम माना जाता है। वहीं दूसरी तरफ से इस रास्ते को देखा जाए तो ये काजा से मनाली को भी जोड़ता है।साथ ही लाहौल में ये मार्ग लेह-मनाली हाईवे से मिलता है। जो कि पर्यटकों के साथ ही सेना का भी मुख्य मार्ग हमेशा से रहा है।