IBEX NEWS,शिमला। हिमाचल प्रदेश की ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खु की सरकार ने जलविद्युत उत्पादन पर उपकर को लेकर दिखाईं गई सख़्ती को आईना दिखाते हुए पहली बार हिमाचल प्रदेश जलविद्युत उत्पादन पर जल उपकर के लिए राज्य आयोग का गठन कर दिया है। इसकी अधिसूचना जारी करते हुए आईएएस अधिकारी अमिताभ अवस्थी की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी की गई है जो 31 जुलाई सेवानिवृत्ति के बाद इस कुर्सी को सम्भालेंगे।एच.एम.धारौला,अरुण शर्मा, जोगिंदर सिंह तीन सदस्यों को भी नियुक्त किया है।
हिमाचल प्रदेश जल विद्युत उत्पादन पर जल उपकर, अधिनियम की धारा 18 के तहत। 2023 (2023 का अधिनियम संख्या 7), जलविद्युत उत्पादन पर जल उपकर के लिए राज्य आयोग को इस अधिनियम के तहत शक्तियों का प्रयोग करने और कार्यों का निर्वहन करने के लिए शिमला में इसका मुख्यालय होगा।
अधिनियम की धारा 20 की उपधारा 1 के तहत गठित खोज समिति की सिफारिश पर इस आयोग के अध्यक्ष और तीन सदस्यों को तीन वर्ष और पैंसठ वर्ष जो भी पहले हो पर नियुक्ति मिली है।
इस प्रकार नियुक्त अध्यक्ष और सदस्य एक अवधि तक पद पर बने रहेंगे
अध्यक्ष और सदस्य तदनुसार अपने शपथ पत्र प्रस्तुत करेंगे।
अधिनियम की धारा 20 की उप-धारा 4 के तहत प्रावधानों के साथ, जिसके बाद उनकी नियुक्ति की पुष्टि की जाएगी।वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य नियम और शर्तें
अध्यक्ष और सदस्यों को अधिसूचना क्रमांक संख्या जेएसवी- द्वारा पहले ही सूचित कर दिया गया है।उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर हिमाचल में भी जल विद्युत उत्पादन पर सेस लगेगा । इसके लिए जल विद्युत उत्पादन पर जल उपकर विधेयक 2023 को पारित कर दिया गया है।
हिमाचल प्रदेश में जलविद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने का रास्ता साफ है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने प्रदेश में राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार इस तरह के जरूरी कदम उठा रही है। कांग्रेस सरकार व्यवस्था परिवर्तन करने के लिए आई है।
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विधेयक पर पहले ही स्पष्ट किया है कि जलविद्युत उत्पादन पर उपकर लगने से हिमाचल को हर साल लगभग 4 हजार करोड़ रुपए की आय होगी। हिमाचल में इस समय 172 पनबिजली परियोजनाएं चल रही हैं। इन परियोजनाओं में 10991 मेगावाट बिजली हर साल पैदा हो रही है। प्रदेश के आय के साधन बहुत सीमित हैं। ऐसे में मौजूदा परिस्थितियों में नए संसाधन जुटाना बहुत जरूरी हो गया है।
यह कानून उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में लगाए गए जल उपकर का विस्तृत अध्ययन करने के बाद लाया गया है। इन दोनों ही राज्यों में कई लोग जल उपकर के खिलाफ अदालतों में गए । लेकिन अदालतों ने फैसला सरकार के पक्ष में सुनाया है। केंद्र सरकार ने हालाँकि अब दोनों इन राज्यों पर सख़्ती बरती है। हिमाचल ने उनडोन राज्यों से अधिक वाटर सेस वसूलने की तैयारी कर रहा था इसलिए केंद्र के पास पहुँची शिकायत के बाद हिमाचल पर केंद्र बी अपनी भौंवें तरेरी है।
आपको बता दें कि प्रदेश में पहली बार हाइडल पावर प्रोजेक्ट्स से वाटर सेस 30 मीटर तक पानी उठाए जाने पर 0.10 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर के हिसाब से सेस लगेगा। 30 से 60 मीटर की ऊंचाई तक पानी उठाने पर सेस की दर 0.25 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर तय की गई है। इसी तरह 60 से 90 मीटर तक पानी उठाए जाने पर 0.35 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर और 90 मीटर से ऊपर पानी उठाए जाने पर 0.50 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर की दर से सेस वसूला जाएगा।