शास्त्रीय संगीत संध्या में IGMC फिजियोलॉजी विभाग की सह प्राचार्य डॉ आशा नेगी की बुद्ध मंत्र प्रार्थना की प्रस्तुति ने श्रोताओं को किया मन्त्र मुग्ध।

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डॉ आशा नेगी द्वारा प्रस्तुत “ओम तारे तुतारे तुरे सोहा” बुद्ध मंत्र से संगीत संध्या का आगाज हुआ ।

गुरु शिष्य परंपरा एवं शास्त्रीय संगीत संस्था ,हिमाचल प्रदेश आयुर्विज्ञान महाविद्यालय द्वारा आयोजित इस संध्या में सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक कश्यप बंधु जुगलबंदी और शास्त्रीय गायन जुगलबंदी ने igmc ऑडिटोरियम में बांधा समा।

IBEX NEWS,शिमला।

शास्त्रीय संगीत संध्या में IGMC फिजियोलॉजी विभाग की सह प्राचार्य डॉ आशा नेगी की प्रस्तुति ने श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया। डॉ आशा नेगी की प्रस्तुति “ओम तारे तुतारे तुरे सोहा” बुद्ध मंत्र से संगीत संध्या का आगाज़ हुआ।यह प्रार्थना मंत्र प्रारम्भ में ही ऑडिटोरियम में पेश किया गया ये शक्तिशाली और आनंदमय है।ओम ध्वनि व्यक्ति की आत्मा को अनंत से जोड़ती है। “तारे” का अर्थ है संसार (जन्म, बीमारी और मृत्यु का चक्र) के चक्र से मुक्ति, जिसमें हम कैद हैं। यह ध्वनि नकारात्मकता, भ्रम और ईर्ष्या, मोह, क्रोध, अभिमान और लालच जैसी विनाशकारी भावनाओं से छुटकारा दिलाती है।”तुत्तारे” बाहरी और आंतरिक कारकों के प्रभाव के भय से मुक्त करता है।”सत्य” रोगों से मुक्ति दिलाता है। केवल शरीर ही बीमार नहीं हो सकता, बल्कि मन भी बीमार हो सकता है। हम सभी के पास एक गतिशील मन है, विचार लगातार भटकते रहते हैं और “यहाँ और अभी” क्षण से ध्यान भटकाते हैं।ध्वनि “सोहा” का अनुवाद “इस मंत्र का आशीर्वाद हृदय में व्याप्त हो” के रूप में किया जा सकता है।आरंभ में “ओम” और अंत में “सोहा” ध्वनियाँ “तारे”, “तुत्तारे” और “तुरे” ध्वनियों के सभी लाभकारी प्रभावों को बढ़ाती हैं और अनंत तक यह घोषणा करती हैं कि व्यक्ति शुद्ध होने और संसार के अंतहीन चक्र से मुक्त होने के लिए तैयार है।तारा को एक महिला बुद्ध माना जाता है, जो मुक्तिदाता है और जीवों को लौकिक तथा परम सुख दोनों सफलतापूर्वक प्राप्त करने में सहायता करती है। इस प्रार्थना के बाद गुरु शिष्य परंपरा एवं शास्त्रीय संगीत संस्था ,हिमाचल प्रदेश आयुर्विज्ञान महाविद्यालय द्वारा आयोजित इस संध्या में सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक कश्यप बंधु जुगलबंदी और शास्त्रीय गायन जुगलबंदी ने बांधा समा। पंडित प्रभाकर कश्यप , पंडित दिवाकर कश्यप , तबला सोलो डॉ नीरज शांडिल,बांसुरी वादन नवकान्त शर्मा शास्त्रीय गायक इस समारोह ने रहे। वहीं शास्त्रीय ग़ायन में मेधा शर्मा, शिवानी शर्मा, तबला संगत रोहन शर्मा , सितार वादन शशांक कश्यप ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

इस समारोह में भजन प्रस्तुतियाँ हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला एवं आयुर्विज्ञान महाविद्यालय शिमला द्वारा दी गई।सोलो सॉंग प्रोफ़ेसर डॉ पीयूष कपिला , सोलो कथक नृत्य दिव्यांशी शर्मा,सोलो कथक नृत्य साक्षी नेगी ने अपनी बेहतर प्रस्तुति देकर दर्शकदीर्घा को खूब झूमने पर मजबूर कर दिया। दूसरी और सोलो सॉंग अंकिता मिन्हास, अक्षित कटोच, जाहनवी ने अपनी प्रस्तुति दी।

इस समारोह के मुख्यातिथि त्रिलोक सिंह रहे और वशिष्ठ अतिथि के रूप में डॉ पुनीत महाजन, डॉ पीयूष कपिला रहे।

ओम तारे तुतारे तुरे सोहा” तिब्बती बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म में एक प्रिय व्यक्ति तारा से जुड़ा हुआ है। तारा को अक्सर एक दयालु महिला बोधिसत्व के रूप में देखा जाता है जो ज्ञान, सुरक्षा और त्वरित सहायता के गुणों का प्रतीक है।
इस मंत्र का विस्तृत विवरण इस प्रकार है:
ॐ : एक पवित्र शब्दांश, जिसका प्रयोग प्रायः मंत्रों के आरंभ में किया जाता है, यह ब्रह्मांड के सार का प्रतिनिधित्व करता है।
तारे : तारा के प्रथम पहलू को संदर्भित करता है, जिसे अक्सर “मुक्त करना” या “बचाना” के रूप में व्याख्यायित किया जाता है। यह प्राणियों को बाधाओं और भय पर विजय पाने में मदद करने की क्षमता को दर्शाता है।
तुतारे : यह पहलू तारा के सुरक्षात्मक गुणों पर जोर देता है, तथा खतरे और पीड़ा को दूर करने के लिए उनका आह्वान करता है।
सत्य : आत्मज्ञान की परम प्राप्ति और संसार से मुक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
सोहा : मंत्रों में अक्सर प्रयुक्त होने वाला एक शब्द जिसका अनुवाद “ऐसा ही हो” या “ऐसा ही हो” के रूप में किया जा सकता है, जो मंत्र के उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कुल मिलाकर, यह मंत्र तारा के आशीर्वाद, सुरक्षा और मार्गदर्शन के लिए एक आह्वान है, जो बाधाओं को दूर करने और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने में मदद करने के लिए उनका आह्वान करता है। साधक सुरक्षा, उपचार और भय और चिंता को दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करते हैं।

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