kinnaur update:किन्नौर के क्रंची , जूसी सेबों को देश दुनिया के बाज़ारों तक पहुँचाने के लिए चांगो में एक अस्थायी नियंत्रण कक्ष-सह-बैरियर स्थापित। सरकार ने जारी की अधिसूचना।निगुलसरी एनएच-05 के खुलने तक चौबीसों घंटे काम करेगा कक्ष।

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तहसीलदार पूह और नायब तहसीलदार यांगथांग कंटोल रूम में ड्यूटी पर मजिस्ट्रेट होंगे। पुलिस अधीक्षक, किन्नौर नियंत्रण कक्ष में पर्याप्त पुलिस बल तैनात करेंगे, जिसमें बागवानी विभाग द्वारा तैनात कर्मचारी भी तैनात रहेंगे।

यह अधिसूचना निगुलसारी के माध्यम से एनएच-05 के खुलने तक लागू रहेगी।

IBEX NEWS, शिमला।

हिमाचल प्रदेश के ज़िला किन्नौर के क्रंची , जूसी सेबों को देश दुनिया के बाज़ारों तक पहुँचाने के लिए चांगो में एक अस्थायी नियंत्रण कक्ष-सह-बैरियर स्थापित होगा।बीते तीन दिनों से यातायात के लिए भूस्खलन से बाधित निगुलसरी एनएच-05 के खुलने तक चौबीसों घंटे ये कक्ष काम करेगा ।तहसीलदार पूह और नायब तहसीलदार यांगथांग कंटोल रूम में ड्यूटी पर मजिस्ट्रेट होंगे। पुलिस अधीक्षक, किन्नौर नियंत्रण कक्ष में पर्याप्त पुलिस बल तैनात करेंगे, जिसमें बागवानी विभाग द्वारा तैनात कर्मचारी भी तैनात रहेंगे। सरकार ने मंगलवार देर शाम ऐसे आदेश जारी किए है।

निगूलसरी में INH-05 भारी भूस्खलन के कारण बंद है। इस जिले में एप्पल सीजन-2023 के दौरान यातायात और वाहनों की आवाजाही को सुचारू बनाए रखने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि किन्नौर जिले के उप-मंडल पूह के तहत एनएच-05 पर चांगो में एक अस्थायी नियंत्रण कक्ष-सह-बैरियर स्थापित करना आवश्यक है।
इसलिए अब, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अध्याय V, VII और XIII और सीआरपीसी की धारा 14 के तहत जिला मजिस्ट्रेट, किन्नौर ने एक अस्थायी नियंत्रण कक्ष-सह स्थापित करने का आदेश जारी किया है।चांगो में बैरियर, चांगो में नियंत्रण कक्ष-सह-बैरियर निगुलसारी में एनएच-05 के खुलने तक चौबीसों घंटे काम करेगा।

इसके बदले में सेवा शुल्क, कार्य और रखरखाव पिछली अधिसूचना के अनुसार रहेंगे। पूर्व में पंजीकृत वाहनों का दोबारा पंजीकरण नहीं किया जाएगा। वाहनों के पंजीकरण और आई-कार्ड तैयार करने/जारी करने के संबंध में सेवा शुल्क दोनों तरफ से केवल एक बार लिया जाएगा

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हिमाचल का किन्नौर इलाका अपने सेब की पैदावार और अलग-अलग किस्मों के लिए दुनियाभर में मशहूर है। किन्नौर में वैसे तो सेब की कई किस्में होती हैं, लेकिन किन्नौर का रॉयल लाल और बड़ा से देखते ही लोगों के मन में खाने का लालच पैदा करता है।इस बार किन्नौर में सेब की बंपर फसल हुई है।

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अगर पूरे राज्य की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में करीब 100000 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की बागवानी होती है और साढ़े पांच हजार करोड़ के आसपास का सालाना कारोबार होता है, लेकिन इस सब से बढ़कर पूरे राज्य में किन्नौर की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा होती है और देश-विदेश में भी किन्नौर के सेब की ही ज्यादा डिमांड होती है। किन्नौर का ज्यादातर इलाका लाहौल स्पीति और चीन बॉर्डर के आस-पास लगता है। ज्यादा ऊंचाई होने के कारण इस इलाक़े में ठंड जादा होती है बर्फ़बारी ज़्यादा होती है यही वजह है कि यहाँ के सेब की क्वालिटी अन्य जगहों के मुक़ाबले में ज़्यादा बेहतर जूसी और क्रंची होती है.


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किन्नौर में परंपरागत कूल्हों से सेब के बगीचों में सिंचाई होती है। ग्लेशियर का पानी कूल्हों के जरिये बगीचों तक पहुंचता है। किन्नौरी सेब प्राकृतिक रूप से अधिक ठोस होता है, जिसके चलते इसे अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।