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..सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान आईजीएमसी अस्पताल के मेडिकल पैरामेडिकल स्टाफ ने सीखे गुर।
..रविवार को शुरू हुई विशेष कार्यशाला चलेगी पूरे सप्ताह
..आईजीएमसी और मेदांता दिल्ली के विशेष अभियान में प्रोफेसरों ने दिखाई रुचि।

मनजीत नेगी/IBEX NEWS, शिमला

जिंदगी की जंग किसी भी प्रकार के हादसे में कोई भी न हारे इसके लिए प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान आईजीएमसी में विशेष गुर सिखाए जा रहे है। बेसिक लाइफ सपोर्ट, एडवांस कार्डियक लाइफ सपोर्ट तकनीक विषय पर कार्यशाला यहां रविवार को शुरू हुई है।

जिसमें बताया जा रहा है कि किसी भी प्रकार के हादसों में यदि इस तकनीक का उपयोग सही ढंग से मौके पर किया जाए तो अनमोल जिंदगियां बचाई जा सकती है। हादसे के वक्त पहले पांच या दस मिनट में ये सुविधा पीड़ित को मिले तो दो या तीन गुना तक जान बचने के चांस बढ़ जाते है।

पूरे सप्ताह भर प्रशिक्षण की ये कार्यशाला चलेगी। इसमें मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ को बैचवाइज तकनीक सिखाई जाएगी। मेदांता अस्पताल दिल्ली और आईजीएमसी के विशेषज्ञ ये प्रशिक्षण दे रहे हैं।

विभिन्न विभागों की टीचिंग फेकेलिटी और पैरामेडिकल स्टाफ ने रविवार को इस ट्रेनिंग कार्यशाला में विशेष रुचि दिखाई।

पल्मोनरी मेडिसिन सोसायटी के सौजन्य से आयोजित इस कार्यशाला में कॉलेज प्राचार्य प्रोफेसर डॉक्टर सुरेंद्र सिंह ने मुख्यातिथि बतौर शिरकत की।

सोसायटी के महासचिव पल्मोनरी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉक्टर आर एस नेगी और प्रबंधक समिति के डॉक्टर कैलाश भरवाल,मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक चौहान,निश्चेतन विशेषज्ञ डॉक्टर सोनाली ने मुख्यातिथि का स्वागत किया।

गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर ब्रिज शर्मा, डॉक्टर राकेश शर्मा, ऑर्थोपेडेशन डॉक्टर मनोज ठाकुर भी इस दौरान मौजूद रहे।


इस अवसर पर प्राचार्य सुरेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसी कार्यशाला वर्ष में एक या दो बार होनी चाहिए। आम आदमी भी इस तकनीक से रूबरू हो तो पहाड़ में होने वाले हादसों के शिकार की अमूल्य जाने बचाई जा सकती है।

वहीं इस मौके पर डॉक्टर नेगी ने कहा कि इससे पहले प्रदेश के दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए भी शिमला में इस तरह की पहल की गई थी। सरकार के समक्ष ये मांग फिर रखी जायेगी कि इस प्रकार की तकनीक को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। आम जनता यदि इस तकनीक के प्रति जागरूक हो या प्रशिक्षण प्राप्त हो तो प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए यहां प्राकृतिक आपदा के दौरान भी इमरजेंसी में ये तकनीक आम जनता उपयोग में ला सकती है ।

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क्या है ये तकनीक

बेसिक लाइफ सपोर्ट ( बीएलएस ) चिकित्सा देखभाल का एक स्तर है जिसका उपयोग जीवन के लिए खतरनाक बीमारियों या चोटों वाले रोगियों के लिए किया जाता है, जब तक कि उन्हें उन्नत जीवन समर्थन प्रदाताओं (पैरामेडिक्स, नर्सों, चिकित्सकों) द्वारा पूर्ण चिकित्सा देखभाल नहीं दी जा सकती । यह प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों द्वारा प्रदान किया जा सकता है।

एडवांस कार्डियक लाइफ सपोर्ट में अस्पताल की हाईटेक मशीनों के समूह के साथ इमरजेंसी में सहयोग देना है।इसमें मोबाइल इकाइयां, ग्रुप डिफाब्रिकेटर जैसी सुविधाओं से लैस रहते है। साथ में विभिन्न विशेषज्ञों का दल इसमें शामिल है जो जिंदगी बचाने में सहयोग करते हैं।