IBEX NEWS,शिमला।
हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा “ओक प्रजातियों की बीज, नर्सरी एवं रोपण तकनीक” अन्य हितधारकों के लिए पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 23 से 25 अक्तूबर तक शिमला में आयोजित किया गया । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दोरान संस्थान के वैज्ञानिकों डा. स्वर्ण लता, ने हिमालयन ओक्स: वितरण, उपयोग और संरक्षण आवश्यकताएँ, पीताम्बर सिंह नेगी ने ओक्स की बीज प्रौद्योगिकी, नर्सरी, रोपण एवं तकनीक, डा० संदीप शर्मा ने गुणवत्तापूर्ण रोपण स्टॉक के उत्पादन के लिए आधुनिक नर्सरी तकनीकें, डा० जगदीश सिंह ने हिमाचल प्रदेश में कृषि वानिकी की स्थिति, डा० अश्वनी टपवाल ने ओक्स के रोग और उनका पर्यावरण-अनुकूल प्रबंधन, डा० प्रवीण रावत ने हिमालयन ओक्स के चारे के उपयोग और पोषक मूल्य, डा. वनीत जिशतु ने हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में ओक्स की भूमिका, डा० मोहम्मद इब्राहीम ने वृक्षारोपण कार्यक्रम के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री का चयन, श्री अखिल शर्मा, मुख्य तकनीकी अधिकारी ने हिमालयन ओक्स के कीट और उनके नियंत्रण के उपाय एवं श्री दुष्यंत कुमार, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी ने शिमला वन वृत्त के ओक और अन्य वानिकी प्रजातियों के कार्बन स्टॉक का आकलन विषयों पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया गया। इस के अलावा प्रशिक्षिणार्थियों को प्रशिक्षण के दूसरे दिन 24 अक्तूबर, 2024 को क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, शिलारू में संस्थान द्वरा चलाया जा रहे शोध कार्यों से भी अवगत करवाया गया और नारकंडा में खरसू ओक के वनों को दिखाया गया।
इस कार्यक्रम का समापन समारोह 25 अक्तूबर को शिमला में आयोजित किया गया। इस की अधक्षता मुख्यातिथि श्री. अनिल जोशी भा.व.से., सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने किया ।
उन्होंने कहा की ओक्स का पर्यावरण, सामाजिक, आर्थिक एवं पारिस्थितिकी की दृष्टि से बहुमूल्य प्रजाति है । इस का चारा के लिए अत्यधिक दोहन पर नियंत्रण रखने की जरूरत है ताकि प्राकृतिक पुनर्जनन को बड़ाया जा सके । कार्यक्रम के अन्त में मुख्यातिथि श्री. अनिल जोशी, सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रशिक्षिणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए । यह तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत सरकार की पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वित पोषित किया गया है ।