सेब का रंग लाल, भार पर सरकार की नोटिफिकेशन माननी होगी कंपनियों को।

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IBEX NEWS, शिमला

किसान बागबानों के साथ अन्याय नहीं होने देगी सरकार।

• जैसे- सेब खरीदने वाली कंपनियों को सेब के रंग और भार को लेकर सरकार की ओर से 2018 में जारी नोटिफिकेशन का पालन करना होगा।

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भाजपा नेता एवं एपीएमसी के अध्यक्ष नरेश शर्मा ने कहा कि बागवानों के लिए हाई पावर कमेटी मीटिंग में सरकार ने ठोस निर्णय लिए है , जिससे बागबानों की बड़ा लाभ होगा।


सरकार बागबानों के सरक्षण के लिए काम कर रही है।
शर्मा ने कहा की बागवानों के लिए वर्तमान सरकार ने समय-समय पर कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में बागवानों की जरूरतों और मांगों को देखते हुए एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया है।
नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर चंदेल को इस हाई पावर कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। इसमें बागवानों को भी स्थान दिया गया है।
अब तक इस कमेटी को दो बैठकें हुई हैं। बहुत ही अच्छे वातावरण में हुई हैं और इनसे बागवानों के लिए काफी कुछ सार्थक निकलकर आया है।
उन्होंने कहा बागवानों को सेब के दाम अच्छे मिलें और रेट के अलावा उनकी जो भी समस्याएं हैं, उन्हें दूर करने के लिए यह कमेटी कार्य कर रही है।
बीते रोज ही कमेटी की बागवानों और कंपनी के प्रतिनिधियों के साथ एक सफल बैठक हुई जिसमें इसमें कई फैसले लिए गए हैं।


जैसे- सेब खरीदने वाली कंपनियों को सेब के रंग और भार को लेकर सरकार की ओर से 2018 में जारी नोटिफिकेशन का पालन करना होगा।
कंपनियों के सीए स्टोर क्रियाशील नहीं हैं और जिन कंपनियों के प्रतिनिधि कमेटी की बैठक में नहीं पहुंचे थे, उन्हें भी नोटिस जारी किया जाएगा।
शर्मा ने कहा की सीए स्टोर संचालक और बागवान दस दिन में कमेटी को अपने सुझाव देंगे। इसमें बागवान संगठनों के प्रतिनिधि अपनी आपत्तियां भी दर्ज करवा पाएंगे। सभी पक्षों से आए सुझावों का अध्ययन किया जाएगा।
इस हाई पावर कमेटी की अगली बैठक 14 सितंबर को होगी और फिर कमेटी अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजेगी।
हाई पावर कमेटी की ओर से हाल ही में लिए गए निर्णय दिखाते हैं कि प्रदेश सरकार बागवानों के हितों को लेकर संजीदा है।
यह बात सत्य है कि दशकों से हर फसल के सीजन के समय कुछ न कुछ समस्याएं पैदा होती हैं। इनमें फसल की पैदावर और खपत के बीच के अर्थशास्त्र की भी कुछ भूमिका होती है।
हमारी सरकार ने हर उस समय बागवानों के हितों की रक्षा की है जब-जब उन्हें किसी दिक्कत का सामना करना पड़ा है।
सेब के कार्टन पर बढ़े हुए 6 फीसदी जीएसटी का वहन भी राज्य सरकार ही कर रही है। यह बहुत बड़ा फैसला है। बागवानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अलग स्तर पर सरकार ने कमेटियां गठित की हुई हैं।
एसपीएमसी को निर्देश हैं कि इस बार सेब सीजन में कम से कम एक करोड़ पेटियों की पैकजिंग सामग्री के आवंटन की तैयारी की जाए, ताकि बागवानों को असुविधा न हो।
इसके अलावा सरकार ने कीटनाशकों फफूंदनाशकों और अन्य दवाओं पर सब्सिडी फिर से शुरू की है। अब सारी दवाएं उद्यान विभाग के केंद्रों में ही मिलेंगी।
उन्होंने कहा की साथ ही इस बार बागवानों को खाद और फर्टिलाइजर की कोई कमी नहीं हुई। किसानों और बागवानों को खाद और दवाइयां समय पर मिलीं।
कृषि संबंधी उपकरणों पर जो सब्सिडी काफी समय से बंद थी उसको फिर से शुरू किया है।
किसानों-बागवानों को एमएसपी की पेमेंट समय पर मिल रही है। एमएसपी में भी 2017 के मुकाबले 2022 में साढ़े चार रुपये की बढ़ोतरी की है, जोकि पिछली सरकार में 25 से 50 पैसे ही होती थी।
बागवानों को लाभ पहुंचाने के लिए और उनकी फसलों के सही दाम सुनिश्चित करवाने के लिए वाइन और सिडार जैसी फल आधारित प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाने पर विशेष बल दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा की बागवानों के उत्पाद के लिए फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट संजीवनी हैं। इस दिशा में हम तेजी से कार्य कर रहे हैं। चालू वित्त वर्ष के दौरान 91 करोड़ रुपये की लागत से पराला में बन रही फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट में उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।
पराला मंडी को आदर्श मंडी के रूप में विकसित किया जा रहा है। पराला सब्जी मंडी में कोल्ड स्टोर बन रहा है। फलों और सब्जियों के भंडारण की सुविधाओं को और बेहतर करने के लिए 60 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा रहे हैं।
इस सीए स्टोर में हजारों मीट्रिक टन एक साथ स्टोर करने की क्षमता होगी। सीए स्टोर बन जाने से किसान और बागवानों को अपनी उपज को सुरक्षित रखने में फायदा मिलेगा।
फ्रूट प्रोसेसिंग की क्षमता बढ़ने से सेब की वेस्टेज बचेगी और किसानों को मार्केट में अच्छे दाम मिलेंगे।
पराला मंडी सेब क्षेत्र में होने के कारण बागवानों को आसानी होगी और ट्रांसपोर्टेशन कोस्ट घटेगी। साथ ही करीब 200 लोगों को स्थाई और अस्थाई रोजगार मिलेगा। इस प्लांट का निर्माण कार्य जनवरी 2023 में पूरा हो जाएगा। साथ ही परवाणू और जड़ोल फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट को भी अपग्रेड किया जाएगा। इस पर 17 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
एंटी हेलनेट पर दिसंबर 2021 तक सरकार 20 करोड़ रुपये का उपदान दिया जा चुका है और 1 हज़ार 823 किसान लाभान्वित हुए हैं।

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