आपदा संभावित क्षेत्रों की संवेदनशीलता की जांच करने और नुकसान को कम करने के लिए किए जाने वाले उपायों संबंधी योजनाओं पर सीएस की अध्यक्षता में चर्चा । बैठक में आपदा की स्थिति में जान-माल के जोखिम को कम करने के लिए त्वरित सामूहिक प्रतिक्रिया को सुदृढ़ करने पर भी मंथन।

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आपदा के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में स्थायी वैज्ञानिक समाधान की आवश्यकता: मुख्य सचिव

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने 20वीं एसईसी बैठक की अध्यक्षता की

IBEX NEWS,शिमला।

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने आज यहां आयोजित हिमाचल प्रदेश राज्य कार्यकारी समिति (एसईसी) की 20वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में आपदा संभावित क्षेत्रों की संवेदनशीलता की जांच करने और नुकसान को कम करने के लिए किए जाने वाले उपायों संबंधी योजनाओं पर चर्चा की गई। बैठक में आपदा की स्थिति में जान-माल के जोखिम को कम करने के लिए त्वरित सामूहिक प्रतिक्रिया को सुदृढ़ करने पर भी चर्चा की गई।
मुख्य सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार से सहायता लेने के दृष्टिगत 10 अगस्त, 2023 तक 6746.93 रुपये की क्षति के संबंध में एक ज्ञापन गृह मंत्रालय को भेजा गया है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से आपदा के बाद की जरूरतों का आकलन करने में राज्य की सहायता का भी आग्रह किया है ताकि पुनर्निर्माण और पुनर्वास गतिविधियों के लिए केंद्र सरकार से सहायता मांगी जा सके।
उन्होंने कहा कि आपदा की दृष्टि से राज्य की संवेदनाशीलता का सघन आकलन किया जाना चाहिए और बाढ़ सुरक्षा, भूस्खलन, भूकंप और अन्य संवेदनशील स्थितियों के लिए एक स्थायी वैज्ञानिक योजना की तलाश की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा की स्थिति में पुलिस बल को आगे आकर कार्यवाही करनी होती है, ऐसे में इन बलों को त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए भी प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है।
समिति ने प्रदेश के चयनित नाजुक भवनों, स्कूलों और सामुदायिक स्वास्थ्य संस्थानों की भूकंप रेट्रोफिटिंग तथा इसके लिए कुछेक जिलों में पायलट आधार पर परियोजना शुरू करने पर भी चर्चा की। बैठक में आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, अग्निशमन सेवाएं, गृह रक्षक और नागरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने तथा सभी शहरी स्थानीय निकायों द्वारा आदर्श भवन नियम अपनाने तथा इनके सख्ती से कार्यान्वयन पर भी बल दिया गया। 
बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित निर्माण, बड़ी परियोजनाओं के मूल्यांकन तथा सुरक्षित निर्माण उपायों को प्रोत्साहित करने के दृष्टिगत सुरक्षा प्रकोष्ठ स्थापित करने तथा नदी-नालों और उच्च ढलानों के समीप निर्माण को विनियमित करने पर भी चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त राज्य आपदा प्रबंधन एवं क्षमता निर्माण संस्थान की स्थापना पर भी चर्चा की गई। 
मुख्य सचिव ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल को सुदृढ़ करने और इसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, औज़ारों एवं उपकरणों से सुसज्जित करने पर बल दिया। इसके अतिरिक्त राज्य में राष्ट्रीय आपदा मुख्यालय और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों की स्थापना की प्रक्रिया में तेजी लाने तथा गृह मंत्रालय के मानदंडों के अनुसार राज्य में प्रतिक्रिया बल और एन.डी.आर.एफ. की तैनाती पर भी चर्चा की गई।
पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू, वित्तीय आयुक्त राजस्व, ओंकार चंद शर्मा, सचिव स्वास्थ्य एम. सुधा देवी, सचिव कृषि राकेश कंवर, प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग अजय गुप्ता, निदेशक सह विशेष सचिव राजस्व, डीसी राणा, विशेष सचिव वित्त रोहित जम्वाल, विशेष सचिव लोक निर्माण विभाग हरबंस सिंह ब्रस्कॉन, विशेष सचिव गृह मनोज चौहान, मुख्य अभियंता ऊर्जा डीपी गुप्ता, निदेशक भारत मौसम विज्ञान विभाग सुरेंद्र पॉल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
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