सांगला घाटी में मनाया जा रहा है धार्मिक उत्सव ब्यूलिंग हर्षोंउल्लास से।

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IBEX NEWS ,शिमला

भारत तिब्बत अब चीन की सीमा के साथ सटे गांव छितकुल मातादेवी अपने पतिदेव बद्री नाथ से मिलने सांगला घाटी के कामरू मंदिर पहुंची है।

पांच दिनों तक चलने वाले ब्यूलिंग यानी मिलन समारोह की इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु भी यहीं डटे है और मेहमानवाजी का लुत्फ उठा रहे है। सांगला घाटी में इस धार्मिक उत्सव के दौरान ब्यूलिंग की धूम मची है।
मातादेवी किन्नौर में सबसे शक्तिशाली मानी जाती है। लोग खूब उत्साहित है कामरू मंदिर प्रांगण में कई कई घंटो मेला चल रहा है।पूरा वातावरण स्थानीय वाद्य यंत्रों की धुनों से गूंज रहा है और माहौल धार्मिक आबोहवा से सरोबार हैं। बद्रीनाथ,कलम सिंह,छत्र सिंह और छितकुल मातादेवी मंदिर कैंपस में है और लोग हर्षों उल्लास से झूम रहे है

लगभग 11 सौ साल पुराना कामरू मंदिर में ब्यूलिंग मनाया जा रहा है। इस मंदिर से जुड़े बहुत से मिथक और पौराणिक कथाएं हैं। यह बुशहर राजवंश की मूल सीट थी जो यहाँ से शासन करती थी। राजधानी को बाद में सराहन और फिर रामपुर में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां अंतिम राजा पदम सिंह ने शासन किया था। वैसे इस किले में राज्याभिषेक होता था। कहा जाता है कि 121 राजाओं का राज तिलक इसी किले में जो हुआ था। यहां आखिरी बार स्वर्गीय वीरभद्र सिंह (हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री) के पिता पदम सिंह का राजतिलक हुआ था।

बद्री विशाल मंदिर, कामरू
“देवभूमि हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर की सबसे सुंदर बास्पा घाटी में बसा रियासत-ए-बुशहर की प्रथम राजधानी व ऐतिहासिक गांव कामरू के मध्य में स्थित है।”भगवान हरी नारायण बद्रीनाथ जी” का अद्भुत मंदिर परिसर है। जो कई वर्षों पूर्व बद्रीनाथ देवता के आदेशानुसार बनवाया गया था।”

कामरू किला एक प्राचीन लकड़ी का किला है। सांगला घाटी के शीर्ष आकर्षणों में से एक है और सांगला में लगभग हर जगह से दिखाई देता है। कामरू किला और मंदिर, बुशहर के अच्छे समय की याद दिलाते हैं।