जर्मन विकास बैंक (KfW) की कार्यकारी समिति ने हिमाचल प्रदेश में वन पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु प्रूफिंग परियोजना को वित्तपोषित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 50.20 करोड़ कीवार्षिक योजना को दी मंजूरी ।

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IBEX NEWS,शिमला।

आज हिमाचल प्रदेश में जर्मन विकास बैंक (KfW) द्वारा वित्त पोषित वन इको-सिस्टम जलवायु प्रूफिंग परियोजना की कार्यकारी समिति की 7वीं बैठक श्री ओंकार शर्मा, प्रधान सचिव वन की अध्यक्षता में समितिकक्ष, एलर्सली, हिमाचल प्रदेश सचिवालय, शिमला में आयोजित की गई जिसमें वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए केएफडब्ल्यू परियोजना के 50.20 करोड़ के वार्षिक योजना को स्वीकृत किया गया।

श्रीमती उपासना पटियाल, सीपीडी- एवं-एपीसीसीएफ (केएफडब्ल्यू परियोजना) ने परियोजना के उद्देश्य और हिमाचल प्रदेश के चंबा और कांगड़ा जिलों में चल रही परियोजना की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि परियोजना 2016 में शुरू की गई थी। शुरुआत में यह 308.45 करोड़ रुपये की परियोजना 6 साल के लिए वर्ष 2016 से 2022 तक थी। वर्ष 2023 में इस परियोजना को मार्च 2026 तक 3 साल के लिए और बढ़ा दिया गया है।

यह परियोजना स्थानीय लोगों के सहयोग से लैन्टाना व अन्य खरपतवारों के उन्मूलन के साथ-साथ ऐसे क्षेत्रों के पुर्नवास, बांस क्षेत्रों का संवर्धन करने, चील के जंगलों का बहुउद्देशीय पौधों के रोपण से संवर्धन  करने, पानी के स्त्रोतों के कायाकल्प  करने और वनों पर आश्रितस्थानीय समुदायों के आय के साधन बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2016 में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा और चम्बा ज़िलों में आरम्भ  की गई थी। 

ओंकार शर्मा प्रधान सचिव वन ने कहा कि क्योंकि परियोजना को सूक्ष्म स्तर पर ग्राम वन प्रबंधन समितियों (वीएफएमसी) के माध्यम से स्थानीय लोगों की भागीदारी से कार्यान्वित किया जा रहा है इसलिए इस परियोजना के अन्तर्गत हितधारकों की क्षमता निर्माण बहुत महत्वपूर्ण है । उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परियोजना के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वीएफएमसी] विशेषकर महिलाओं की एक्सपोजर यात्राएं महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि एक्सपोज़र विजिट और प्रशिक्षण स्थानीय समुदायों विशेषकर महिलाओं को वन बहाली में सक्रिय रूप से शामिल होने और योगदान देने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि परियोजना के अन्तर्गत बन्जर वन भूमि के पुनर्वास के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए।

राजीव कुमार प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख)हिमाचल प्रदेश ने कहा कि यह परियोजना धर्मशाला और चंबा क्षेत्रों में 39 वन परिक्षेत्रों और 9 वन मण्डलों में कार्यान्वित की जा रही है। उन्होंने बैठक में कहा कि परियोजना के लक्ष्यों व कार्यों को स्थानीय समुदायों की भागीदारी व फिल्ड स्टाफ को मज़बूत करके प्राप्त किया जाएगा। 

बैठक में सी० पी० वर्मा विशेष सचिव वन] आर०लालनुन सांगा] एपीसीसीएफ ](वित्त) रॉबिन] सहायक निदेशक ग्रामीण विकास और वन विभाग ds अन्यअधिकारी उपस्थित थे।