हिमाचल कांग्रेस के बागी विधायक सुधीर शर्मा पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने बड़ी कार्रवाई की है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुधीर शर्मा को AICC सेक्रेटरी पद से हटा दिया।

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पार्टी हाईकमान की इस कार्रवाई पर सुधीर शर्मा ने सोशल मीडिया में टिप्पणी कर तंज कसते हुए लिखा कि भार मुक्त तो ऐसे किया है जैसे सारा बोझ मेरे ही कंधों पर था।

अपना दर्द उकेरा, कहा भगवद गीता में एक श्लोक है जिसका भावार्थ है- ” अन्याय सहना उतना ही अपराध है, जितना अन्याय करना। अन्याय से लड़ना आपका कर्तव्य है।” पढ़े विस्तार से और क्या कहा है।प्रदेश वासियों को किया हैं संबोधित…

IBEX NEWS,शिमला।

हिमाचल कांग्रेस के बागी विधायक सुधीर शर्मा पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने बड़ी कार्रवाई की है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुधीर शर्मा को AICC सेक्रेटरी पद से हटा दिया है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा चुनाव में क्राॅस वोटिंग और पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर कार्रवाई करते हुए सुधीर को सचिव पद से हटा दिया।

पार्टी हाईकमान की इस कार्रवाई पर सुधीर शर्मा ने सोशल मीडिया में टिप्पणी कर तंज कसते हुए लिखा कि भार मुक्त तो ऐसे किया है जैसे सारा बोझ मेरे ही कंधों पर था।

उन्होंने लिखा कि चिंता मिटी, चाहत गई, मनवा बेपरवाह, जिसको कछु नहीं चाहिए, वो ही शहंशाह।

  पार्टी के दूसरे अयोग्य घोषित किए गए सुजानपुर से विधायक राजेंद्र राणा ने कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। राणा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे सहित प्रदेश पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ल और प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को अपना इस्तीफा भेजा है। राणा ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने इस्तीफे की सूचना को सार्वजनिक किया।

वहीं दूसरी और अपनी पोस्ट में उन्होंने अपना दर्द उकेरा है कि भगवद गीता में एक श्लोक है जिसका भावार्थ है- ” अन्याय सहना उतना ही अपराध है, जितना अन्याय करना। अन्याय से लड़ना आपका कर्तव्य है।”

यही श्लोक आज हमारे संघर्ष का , हमारे फैसले का, हमारे द्वारा उठाए गए कदम का आधार बना है और इस श्लोक ने हमें शक्ति भी दी है।

   प्रिय हिमाचल वासियों, मेरे सामाजिक सरोकार, विकास के लिए मेरी प्रतिबद्धता और जन हित के लिए हमेशा आगे खड़े रहना मेरे खून में है और मुझे विरासत में मिला है.  यह जज्बा मुझे सनातन संस्कृति और उस शिव भूमि ने दिया है जिसमें मैं पैदा हुआ हूं. मेरे स्वर्गीय पिता पंडित संतराम जी पूरा जीवन सच्चाई के रास्ते पर चलते रहे. स्वाभिमान का झंडा उन्होंने हमेशा बुलंद रखा. बैजनाथ की जनता दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हमेशा इसलिए उनके साथ चट्टान की तरह खड़ी रहती थी क्योंकि वह संघर्ष से तपकर कुंदन बने थे. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व और हाई कमान भी उनकी हर बात पर सहमति की मोहर लगाता था. यह उस दौर का नेतृत्व था जो अपने कर्मठ नेताओं और कार्यकर्ताओं का सम्मान करना जानता था. उनकी बात सुनता था. उनके संघर्ष को और उनकी निष्ठाओं को मान्यता देता था। 

उस दौर का शीर्षस्थ नेतृत्व वर्तमान नेतृत्व की तरह आंखें मूंद कर नहीं बैठता था।सच्चाई बताने वालों को जलील नहीं करता था बल्कि पार्टी की प्रति उनकी सेवाओं को अधिमान देता था और उनकी भावनाओं की कद्र करना जानता था।

आज स्थिति कहां से कहां पहुंच गई. मुझे तो साफगोई , ईमानदारी. जनता के साथ खड़े रहने की आंतरिक शक्ति पिताजी से ही विरासत में मिली।साथ ही यह सीख भी उन्हीं से मिली कि अन्याय के आगे कभी शीश मत झुकना और सीना तानकर डट जाना।पहाड़ के लोग ऊसूलो पर चलने वाले भावनात्मक लोग होते हैं और जो सीख उन्हें मिलती है, उसे ताउम्र अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लेते हैं।यह सीख मेरे रोम रोम में बसी है और गीता का ज्ञान मुझे सदैव ऊर्जवस्थित किये रखता है।तभी तो मैं अपनी बात की शुरुआत गीता के श्लोक से ही की है।

साथियो, प्रदेश में कांग्रेस सरकार को सत्ता में लाने के लिए हमने दिन-रात कितनी मेहनत की थी, इस बारे हाई कमान ने भले ही अपनी आंखों में पट्टी बांध रखी हो लेकिन आप सब से तो यह छिपा नहीं है। हमारा संघर्ष छिपा नहीं है।हमारा तप, त्याग और बलिदान छिपा नहीं है।हमने राजनीति में हर तरह के दौर देखे हैं। छात्र जीवन से ही की शुरुआत करके आप सबके स्नेह से , आपके सहयोग से, आपके भरोसे से निरंतर आगे बढ़े हैं और इलाके के विकास और जनहित को हमेशा सर्वोपरि रखा है।अग्रिम मोर्चे पर खड़े होकर प्रदेश हित की लड़ाई लड़ी है।कुर्सी पाने के लिए चापलूसी को अधिमान नहीं दिया। तलवे चाटने की राजनीति नहीं की बल्कि इलाका वासियों के साथ कहीं अन्याय होते देखा तो राजनीतिक नफा नुकसान को तरजीह देने की बजाय सरकार में रहते हुए भी अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की। जनता भलीभांति इस बात को जानती है कि मैं विकास का पक्षधर रहा हूं.. जनता की भावनाओं के साथ खड़ा रहा हूं.. हुकूमत के गलत फैसलों को चैलेंज करने में कभी पीछे नहीं रहा हूं.. मेरे लिए कुर्सी मायने नहीं रखती. मेरे लिए प्रदेश का स्वाभिमान मायने रखता है।मेरे लिए जनता का दुख दर्द मायने रखता है.. जनता की आशाओं को पूरा करने के लिए दिन-रात एक करना मायने रखता है.. और जनता के सपनों को धरातल पर उतारना मायने रखता है।

जब लगातार मुझे राजनीतिक तौर पर जलील किया जा रहा था, विकास के मामले में इलाके की अनदेखी की जा रही थी, मेरे जैसे पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को नीचा दिखाने के लिए घिनौनी हरकतें की जा रही थी, यहां तक कि मुझे रास्ते से हटाने के लिए पार्टी के भीतर ही किसी नेता ने कुछ ताकतों को सुपारी तक दे दी थी तो फिर खामोश कैसे बैठ जा सकता था.. हाई कमान की आंख पर पट्टी और प्रदेश के सत्ताधीश मित्र मंडली से घिरकर जब तानाशाह बन बैठे हों तो कायरों की तरह हम भीगी बिल्ली बनकर जनता के भरोसे को नहीं तोड़ सकते।पहाड़ के लोगों के साथ अन्याय होता नहीं देख सकते। किसी को प्रदेश हित गिरवी रखते नहीं देख सकते. सड़क पर धरना लगाए बैठे युवाओं की पीड़ा नहीं देख सकते।

हमारे सब्र का आखिर कितना इम्तिहान लिया जाना था। कई बार कड़वे घूंट भरे .. विषपान भी किया.. लेकिन अंतत: हमारी अंतरात्मा और गीता के श्लोक ने हमें अन्याय का प्रतिकार करने के लिए खुलकर मैदान में आने के लिए प्रेरित किया और हमने जो कदम उठाया है,उस पर हमें नाज है … कहीं दूर-दूर तक कोई पछतावा नहीं है बल्कि इस फैसले के पीछे हिमाचल में एक नई रोशनी की आमद का स्वागत करना है.. एक नई सवेर इंतजार में है और हिमाचल के नवनिर्माण के लिए पूरे दुगने जोश से डट जाना है.. आपका स्नेह, आपका भरोसा, आपका विश्वास ही हमारी ताकत है और आगे भी रहेगी. हिमाचल के हित और स्वाभिमान की मशाल को हम अंतिम सांस तक उठाकर चलेंगे. इस लौ को बुझने नहीं देंगे।

जय श्री राम, जय हिमाचल, वंदे मातरम। से अपने संबोधन को समाप्त किया है।