देश के पहले मतदाता श्याम सरण नेगी का निधन। दो दिन पहले ही बैलेट पेपर के माध्यम से कर दिया था लोकतंत्र के महापर्व में मतदान।

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IBEX NEWS, शिमला।

स्वतंत्र भारत के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम सरण नेगी का निधन हो गया। तड़के सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली। दो दिन पूर्व ही उन्होंने अपने घर कल्पा से पहली बार बैलेट पेपर के माध्यम से लोकतंत्र के महापर्व में मतदान कर दिया था।106 वर्षीय श्याम सरन नेगी की तबीयत बिगड़ी। सुबह 2:00 बजे अचानक निधन हो गया यह जानकारी उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने दी उन्होंने कहा कि पूरे प्रशासन की टीम मौके पर मौजूद रहेगी। उन्होंने कहा की उन्हें पूरा राष्ट्रीय सम्मान के उनका दाह संस्कार किया जाएगा।

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जाते ..जाते भी दे गए ये मंत्र। मना गए लोकतंत्र का पर्व।

दो दिन पूर्व अतिम बार मतदान करते समय श्याम सरण नेगी ने कहा था कि मतदान लोकतंत्र का महापर्व होता है। हम सभी को अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करना चाहिए ताकि देश का लोकतंत्र मजबूत हो सके। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने स्वतंत्र भारत के प्रथम मतदाता श्याम सरण नेगी को टोपी व मफलर भेंट कर सम्मानित किया था।

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आबिद हुसैन सादिक ने कहा है कि मास्टर श्याम सरण नेगी न केवल किन्नौर व हिमाचल बल्कि देश के आईकन रहे हैं और देश को इन पर गर्व है। मास्टर श्याम सरण हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। 106 वर्ष की आयु होने के उपरान्त भी मतदान करने के प्रति इनका जज्बा इस बात का प्रमाण रहा है।

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ऐसे बने आजाद भारत के पहले वोटर।

श्याम सरन नेगी , (जन्म 1 जुलाई 1917) कल्पा, हिमाचल प्रदेश में एक सेवानिवृत्त स्कूली शिक्षक थे , जिन्होंने 1951 के आम चुनाव में भारत में पहला वोट डाला – देश का पहला चुनाव। 1947 में ब्रिटिश शासन । हालांकि उस पहले चुनाव के लिए अधिकांश मतदान फरवरी 1952 में हुआ था, हिमाचल प्रदेश में चुनाव पांच महीने पहले हो गए थे क्योंकि वहां का मौसम फरवरी और मार्च में खराब हो जाता है और उस अवधि के दौरान भारी बर्फबारी होती रही है। जिससे नागरिकों का मतदान केंद्रों तक पहुंचना असंभव रहा है। नेगी ने 25 अक्टूबर 1951 को पहला वोट डाला। उन्होंने 1951 के बाद से हर आम चुनाव में मतदान किया है, और माना जाता है कि वे भारत के सबसे पुराने मतदाता होने के साथ-साथ इसके पहले भी हैं।