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  • आईजीएमसी में मनाया नेत्रदान पखवाड़ा
  • नेत्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर सुनील शर्मा, डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर अजीत नेगी के अलावा कई चिकित्सकों को किया सम्मानित,स्टाफ की भी अहम भूमिका पर थपथपाई पीठ।
  • नेत्र रोग विभागाध्यक्ष ने समझाई नेत्रदान की बारीकियां

मनजीत नेगी/IBEX NEWS, शिमला।

शिमला के आईजीएमसी में नेत्र बैंक आईजीएमसी शिमला की ओर से नेत्रदान पखवाड़ा मनाया गया। नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ रामलाल शर्मा ने नेत्रदान के महत्व के बारे में जानकारी साझा की और समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जीवित रहते हुए नेत्रदान करने की शपथ ले सकता है। नेत्रदान मृत्यु के बाद संभव होता है। मृत्यु के करीब 6 घंटे के भीतर नेत्रदान किया जा सकता है। नेत्रदान करने से जरूरतमंद व्यक्ति के जीवन में उजाला होता है। 1 से लेकर 100 वर्ष तक का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति नेत्रदान करने में सक्षम होता है। ये घर पर भी किया जा सकता है। आई डोनेशन सेंटर के 50 किलोमीटर के दायरे में अस्पताल से प्रशिक्षित स्टाफ की टीम जाती है और मृत व्यक्ति के शरीर से नेत्र निकालकर व संरक्षित करके उन्हें दूसरे व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है। आईजीएमसी शिमला में मौजूदा समय तक 383 नेत्रदान किए गए हैं । अस्पताल में आई बैंक की स्थापना साल 2010 में हुई थी । नेत्रदान पखवाड़े के तहत सार्वजनिक स्थानों पर नेत्रदान संबंधी जानकारी को दर्शाने वाले पोस्टर लगाए गए । वही स्कूलों में कॉलेजों में नेत्रदान संबंधी जागरूकता कार्यक्रम करवाए गए। दूरदर्शन शिमला के माध्यम से लोगों में नेत्रदान के परिपेक्ष में फैली भ्रांतियों को दूर करने व लोगों में नेत्रदान को लेकर जानकारी उपलब्ध करवाई गई।

कार्यक्रम के दौरान नेत्रदान में सहयोग करने वाले डॉक्टरों व अन्य स्टाफ को भी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। स्किन रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर अजीत नेगी, डॉक्टर सुनील शर्मा, सोटो के ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नरेश कुमार, रेनू बाला, लता रानी, मोना कुमारी, वीना चौहान, पंकज कुमारी सहित सेवा दासी को बेहतरीन सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में आईजीएमसी की प्रधानाचार्य डॉ सीता ठाकुर ने नेत्रदान को आगे बढ़ाने की मुहिम के लिए नेत्र रोग विभाग की सराहना की। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि नेत्र दान के इस अभियान में बढ़ चढ़ कर भाग लें । इस दौरान ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर यशपाल रांटा, डॉ शशि सहित अन्य स्टाफ मौजूद रहा

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  • आजीईएमसी की वेबसाइट पर शपथ पत्र उपलब्ध

नेत्रदान के लिए आईजीएमसी शिमला के कमरा नंबर 212 में संपर्क करें। नेत्रदान संबंधी जानकारी हासिल करने के लिए अस्पताल की ओर से 24 घंटे संचालित रहने वाला हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। यह नंबर 94 593 – 19192 है। नेत्र प्रत्यारोपण करने पर किसी प्रकार की फीस नहीं ली जाती। नेत्र दान करने के लिए शपथ पत्र भरा जा सकता है। यह शपथ पत्र आईजीएमसी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। शपथ पत्र भरने के बाद इसे आईजीएमसी में जमा करें और अपना डोनर कार्ड हासिल करें।

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  • नेत्रदान अंगदान जरूरतमंद के लिए वरदान- डॉ पुनीत महाजन

स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन हिमाचल प्रदेश के नोडल अधिकारी व सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ पुनीत महाजन ने अपने वक्तव्य में बताया कि सोटो हिमाचल आईजीएमसी शिमला के आई डोनेशन सेंटर के साथ मिलकर नेत्रदान वह अंगदान को बढ़ावा देने में कार्यरत है। उन्होंने बताया कि ब्रेन डेड व्यक्ति अपने विभिन्न अंगों का दान करके 8 लोगों का जीवन बचा सकता है। वही नेत्रदान करके मरने के बाद भी दूसरे के जीवन में उजाला फैला सकता है।

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जरूरी बात ये है अधिकतर परिजन समझते है की यदि अपनो की आंखे दान करेंगे तो अगले जन्म में अंधे पैदा होंगे या फिर बिना आंखों के अंतिम संस्कार होगा।चेहरा भद्दा दिखेगा। नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष तमाम भ्रांतियों के बारे में अपने वीडियो में खुलकर बता रहे है।आपके मन में जो भी सवाल अंग दान को लेकर पैदा होते है डॉक्टर यशपाल रांटा डॉक्टर राम लाल शर्मा से आपकी और से पूछ रहे है आप वीडियो को सुने।अपनी भ्रांतियों को दूर करें और अंगदान करें।

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बीते 12सालों में 306लोगों ने आंखे दान करने वालों की वजह से जीवन में रोशनी देखी,आम जन जैसा जीवन जी रहे हैं।। दान करने के लिए 1000 का आंकड़ा फॉर्म भरने वालों का है।हिमाचल में यदि इस और

विशेष मुहिम चलाई जाए तो लोग आगे आएंगे