सीएम के आदेशों के विपरीत हिमाचल में नया साल मनाने छितकुल पहुँचे पर्यटकों की खूब ठुकाई हुई । हालाँकि वे शराब पीकर कोई हुड़दंग नहीं मचा रहे थे । तब भी उनपर किसने और क्यों लाठी भांज दी पढ़े पूरी खबर…..क्या था पूरा माजरा।

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मनजीत नेगी/ IBEX NEWS, शिमला।

हिमाचल के मुख्यमंत्री के भले ही स्पष्ट आदेश हैं कि क्रिसमस और न्यू ईयर पर पर्यटक शराब पीकर झूम जाए तो उन्हें हवालात की सैर नहीं कराई जाए, मार कुटाई न हो अपितु उन्हें होटल छोड़े। मगर भारत तिब्बत सीमावर्ती गाँव छितकुल में आज चार पर्यटकों की खूब ठुकाई हुई है। चंडीगढ़,मध्यप्रदेश से पर्यटक नया साल मनाने पहुँचे थे। शराब ,पीकर वे हुड़दंग नहीं मचा रहे थे तब भी जमकर धुनाई इसलिए हुई क्योंकि पर्यटक सैंक्चुअरी एरिया में भोजपत्रों के पेड़ों के बीचोंबीच सुखी घास पतियों मेंआग जलाकर बैठे थे। हसीन वादियों का मज़ा ऐसी चयनित जगह पर लिया जा रहा था जहाँ से पूरे सूखे जंगल में आग सुलग सकती थी और अमूल्य वन संपदा ख़ाक हो सकती थी। सैंक्चुअरी क्षेत्र के अलावा छितकुल वालों ने भी इस जंगल को सरंक्षित किया है। गाँव का कोई परिंदा यहाँ अपनी मर्ज़ी से पर नहीं मार सकता।लोगों ने बड़ी आपदा के लिए इसे सहेजा है ।

पूरी छितकुल पंचायत का जब फ़रमान हो तभी लकड़ी, घास काटने यहाँ जा सकते हैं।

शुक्रवार दोपहर के बाद इस घने वन में उठ रहे धुंए को देखकर लोग चौंक गए और मंदिर प्रांगण में सायरन की आवाज से 20-25 लोग जंगल की आग से उठरहे धुएँ को देखकर भागे। बसपा नदी पर बने पुल के उपर जंगल में आग जलाकर चार पर्यटक थे और मौके पर इसलिए लाठी खाई क्योंकि आग सूखे पतों , घास, पाइन कोन से धीरे धीरे बेक़ाबू हो गई थी । लोगों ने मिलकर बुझाया।

बताते हैं कि पर्यटकों ने क्षमा याचना की और कहा की ठंड से बचने के लिए आग जलाई।उन्होंने माना कि वे यहाँ नये साल के जश्न के लिए पहुँचे हैं ,जिस गेस्ट हाउस में रूके उनकी तरफ़ से कोई निर्देश नहीं मिले थे ।लोगों के आरोप ये रहें हैं ऐसी जगह मादक द्रव्य पदार्थों के सेवन के लिए चुने जा रहें हैं और कई संचालक ऐसे मनोरंजन के पुख़्ता इंतज़ामों का भरोसा देते रहें हैं। मौके पर पहुँचे लोगो ने बताया कि पर्यटकों का कहना रहा कि वे छितकुल के रानी गेस्ट हाउस में ठहरें है। रानी गेस्ट हाउस के संचालक रवि दत्त ने बताया कि मुझे नहीं मालूम कि मेरे गेस्ट हाउस से पर्यटक जंगल में आग जलाकर बैठे थे। बहुत पर्यटक आते है ऐसे में कौन, कहाँ जा रहा हैं नियंत्रित करना मुश्किल है और घूमने की तो आजादी है। मुझे नहीं मालूम कि ऐसा भी कुछ हुआ हैं । सैंकड़ों पर्यटक आते हैं किस किस का हिसाब रखें ।

गाँव के प्रधान सुभाष नेगी ने कहा कि मुझे इस घटना की कोई जानकारी नहीं है गांव से बाहर हूँ।

गाँव के उपप्रधान राजेश ने बताया कि साईरन बजते ही स्पॉट पर भागा। आग बेक़ाबू हुईं थी ।पर्यटकों ने बताया कि रानी गेस्ट हाउस में वे रूके है और कोई इंस्ट्रक्शन संचालक की और से नहीं थी।उनपर कोई जुर्माना तो नहीं लगाया मगर हिदायत दी की जंगल में आग न जलायें। वहीं पूर्व उपप्रधान अरविंद नेगी ने बताया कि आज की घटना दुखद है और बड़ा हादसा हो सकता था।

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क्या कहते हैं वन सुरक्षा गार्ड पवन कुमार।

वन सुरक्षा गार्ड बी बताया कि लोग सुनते नहीं हैं।आज की घटना बड़ा हादसा का रूप ले सकती थी वे आग को बिना बुझाए आते और सूखा जंगल धधक जाता। उनपर लाठी चलाई क्योंकि मैं ऐसा न करता तो गाँव वाले उग्र हो सकते थे। पहले भी घने जंगल में आग सुलगते देख रात रात को घने जंगल में जा चुका हूँ। पर्यटक आग जलाते है और बिना बुझाए भाग जाते है। इस सैंक्चुअरी एरिया में भालू, स्नो लेपर्ड का ख़तरा भी है तब भी अंधेरे में भागना पड़ता है।रानी गेस्ट हाउस से मामले पर पूछताछ होगी।पर्यटकों ने बताया कि वे किस गेस्ट हाउस में रूके है।

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छितकुल ऐसा गाँव है जहां पतझड़ के बाद घर के बाहर बीड़ी , सिगरेट तक पीने की मनाही है। लकड़ी के इकट्ठे घरों के अलावा अपने मवेशियों के लिए सूखा घास और जलावन घर के भीतर सहेजा जाता हैं। लकड़ी के घर बारूद के ढेर पर एक क़िस्म से होते हैं। ऐसे में आग से बचाव का विशेष ख़्याल रखा जाता है। साल का सबसे बड़ा त्यौहार दिवाली में भी पटाखे घर आँगन में नहीं फोड़े जाते बल्कि गाँव से दूर बासपा नदी के तट पर बेख़ौफ़ जला सकते है।

ये भी सत्य है कि छितकुल माता देवी को पर्यावरण की देवी भी माना जाता है। किन्नौर की सबसे शक्तिशाली देवी छितकुल है।पर्यावरण की रक्षा करने जा पाठ अपनी जनता को उन्होंने खूब पढ़ाया है। किन्नर कैलाश परिक्रमा के दौरान लोग माता देवी के मंदिर में ब्रह्मकमल का फूल तोड़ कर लाते थे उन्होंने इस फूल को तोड़ने और चढ़ावा चढ़ाने पर प्रतिबंधित किया हैं। लोग भी यहाँ पर्यावरण प्रेमी हैं।